राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित तीन दिवसीय व्याख्यान माला के दूसरे दिन ‘भविष्य का भारत’ विषय पर बोलते हुए कहा, हिंदुत्व एक सर्वसम्मत विचार है जो परम्परा से चला आ रहा है। ये विचार विविधता के सम्मान की वजह से चल रहा है।
मोहन भागवत ने कहा, ‘हम हिंदू राष्ट्र में विश्वास रखते हैं, लेकिन इसका अर्थ ये नहीं है कि हम मुसलमानों के खिलाफ हैं।’ ऐसा कहते हुए मोहन भागवत ने बताया कि हम वसुधैव कुटुंबकम् में यकीन रखते हैं, जहां सभी धर्म और पंत का स्थान है। उन्होंने स्पष्ट कहा, ‘हम कहते हैं कि हमारा हिंदू राष्ट्र है। हिंदू राष्ट्र है इसका मतलब इसमें मुसलमान नहीं चाहिए, ऐसा बिल्कुल नहीं होता है। जिस दिन ये कहा जाएगा कि यहां मुस्लिम नहीं चाहिए, उस दिन वो हिंदुत्व नहीं रहेगा।’
उन्होंने कहा कि वैदिक काल में हिंदू नाम का कोई धर्म नहीं था बल्कि सनातन धर्म हुआ करता था। उनका कहना था कि आज जो कुछ हो रहा है वो धर्म नहीं है। आगे उन्होंने कहा कि जिस दिन हम कहेंगे कि हमें मुसलमान नहीं चाहिए उस दिन हिंदुत्व नहीं रहेगा।
On the basis of the 'Set of Values' ie Hindutva, Dharma has developed. Dharma is a unique word which cannot be translated in any of the foreign languages. Dharma is not confined to any geography, it is universal.#FutureBharat pic.twitter.com/Hj7OTpMcI8
— RSS (@RSSorg) September 18, 2018
उन्होंने शिक्षाविद्द सर सय्यद अहमद ख़ान का उद्धरण देते हुए कहा कि जब उन्होंने यानी ख़ान ने बैरिस्टर की पढ़ाई पूरी की तो लाहौर में आर्य समाज ने उनका अभिनंदन किया। आर्य समाज ने इसलिए अभिनन्दन किया था क्योंकि सर सय्यद अहमद ख़ान मुस्लिम समुदाय के पहले छात्र थे जिन्होंने बैरिस्टर बनने की पढ़ाई की थी।
भागवत ने बताया, उस समारोह में सर सय्यद अहमद ख़ान ने कहा कि मुझे दुःख है कि आप लोगों ने मुझे अपनों में शुमार नहीं किया। भागवत ने ये भी कहा कि यह धारणा “बिल्कुल गलत” है कि संघ मुख्यालय नागपुर से कॉल किया जाता है और (उसके तथा सरकारी पदाधिकारियों के बीच) बातचीत होती है। यह धारणा इसलिए भी है कि राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री जैसों का नाता संघ से रहा है।
इसके अलावा उन्होंने राजनीति और आरएसएस के रिश्तों पर भी स्पष्टीकरण दिया। मोहन भागवत ने कहा, ‘आरएसएस राजनीति से दूर रहता है लेकिन राष्ट्रीय हितों के मुद्दों पर संगठन विचार रखता है। हम स्वयं सेवकों से कभी किसी पार्टी विशेष के लिए काम करने के लिए नहीं कहते, हम उनसे राष्ट्रीय हितों के लिए काम करने वालों का साथ देने को अवश्य कहते हैं।’