संसद के मॉनसून सत्र के 9वे दिन मंगलवार को लोकसभा में रोहिंग्या शरणार्थियों का मुद्दा उठा। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने रोहिंग्या को शरणार्थी मानने के बजाय घुसपेठिया करार दे दिया।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू ने इस दौरान श्रीलंकाई शरणार्थियों को तमिल शरणार्थी बताया। जिसको लेकर जमकर हंगामा भी मचा। हालांकि तमिलानाडु के विभिन्न सांसदों की आपत्ति के बाद उन्होने खेद व्यक्त किया। रोहिंग्या शरणार्थियों के मुद्दे पर किरन रिजिजू ने कहा कि रोहिंग्या भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती हैं।
रिजिजू ने कहा, ‘बड़ी संख्या में रोहिंग्या जम्मू-कश्मीर में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं। देश की आंतरिक सुरक्षा को उनसे खतरा है और सुरक्षा से सरकार समझौता नहीं कर सकती। म्यांमार सरकार से बातचीत के जरिए शांतिपूर्ण तरीके से उन्हें वापस भेजा जाएगा।’
Border Security Force and Assam Rifles are deployed to stop further infiltration of #Rohingyas. Have issued advisory to states to monitor those who have already come and keep them at one place and not let them spread. States also have right to deport them: HM Rajnath Singh in LS
— ANI (@ANI) July 31, 2018
वहीं गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि राज्य सरकारों को उनकी गिनती करनी होगी। उन्होंने कहा कि राज्यों को रोहिंग्याओं के लिए अडवाइजरी जारी की गई है। राजनाथ सिंह ने कहा कि रोहिंग्या को सीमा में घुसने से रोकने के लिए बीएसएफ और असम राइफल्स को अलर्ट किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्यों को ताजा एडवाइजरी जारी की गई है कि वह एक जगह सभी रोहिंग्या को जमा करें साथ ही उनके मूवमेंट पर भी निगरानी की जानी चाहिए। गणना और पहचान की जानकारी जुटाकर भेजने को भी कहा गया है। सभी तथ्य जुटा लेने के बाद म्यांमार सरकार से बात कर उन्हें वापस भेजने की कोशिश की जाएगी।
विपक्षी पार्टियों के सरकार के भेदभाव के आरोप पर राजनाथ सिंह ने कहा, ‘राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि वे राज्य में रोहिंग्याओं की संख्या आदि के बारे में गृह मंत्रालय को सूचना दें। इसी के आधार पर जानकारी विदेश मंत्रालय को दी जाएगी और विदेश मंत्रालय म्यांमार के साथ इनको डिपोर्ट करने पर बातचीत करेगा।’