प्रौद्योगिकीविद् सैम पित्रोदा ने रविवार को अहमदाबाद के कर्णावती विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि देश में मंदिर और धर्म पर बहस करके देश में नौकरियां नहीं पैदा होंगी। उन्होने कहा, केवल विज्ञान ही भविष्य का निर्माण करेगा।
उन्होंने यह भी कहा कि जब रोजगार के बारे में बात की जाती है तो इसे राजनीतिक रंग दे दिया जाता है और ‘इसमें वास्तविकता कम, शब्दाडंबर ज्यादा होता है।’ पित्रोदा ने छात्रों से कहा, ”इस देश में मंदिर, धर्म और जाति पर चल रही बहस देखकर मैं चिंतित हो जाता हूं। जब भी आप रोजगार की बात करते हैं, राजनैतिक हस्तक्षेप जरूर होता है।”
पित्रोदा ने कहा, ”मंदिरों से युवाओं के लिए नौकरियां नहीं पैदा होने वालीं। हम आंकड़ों की बात करते हैं, हमने अपने युवाओं को गुमराह किया, हमने उन्हें गलत रास्ते पर ढकेला, हमने उनसे झूठ बोला। मैं कहता हूं कि तीन तरह के लोगों की बात आपको नहीं सुननी चाहिए- आपके माता-पिता, टीचर्स और तीसरे, राजनेता। ऐसा इसलिए क्योंकि उनके पास तकनीकी रूप से बदल रही दुनिया की सीमित जानकारी होती है।
पित्रोदा ने कहा कि रोबोटिक्स, ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर और ऑटोमेशन जैसी आधुनिक तकनीक हर जगह नौकरियों के लिए खतरा पैदा कर रही है। उन्होंने कहा, ”अगले 5 साल में, सेल्फ-ड्रिवेन कारों का उत्पादन 50 मिलियन से घटकर 5 मिलियन प्रतिवर्ष हो जाएगा। आपको कार इंश्योरेंस, लाइसेंस, गैराज या फिर पार्किंग लॉट की जरूरत नहीं पड़ेगी। भविष्य में, हमें ऑफिस या पार्किंग स्पेसेज की जरूरत नहीं पड़ेी क्योंकि हम अपने घरों से काम कर रहे होंगे।”
असमानता पर पित्रोदा ने कहा, ”समस्या ये है कि दुनिया के सर्वोत्तम मस्तिष्क अमीरों की समस्याएं सुलझाने में लगे हैं। भचिष्य चिंतानजक है, जहां हम बहुत अधिक खरबपति पैदा कर लेंगे, जबकि एक बड़ी आबादी गरीब रह जाएगी।”