पेरिस. राफेल विवाद में फिर एक नया खुलासा हुआ है। जो एक बार फिर से मोदी सरकार की परेशानी बढ़ा सकता है। दरअसल, फ्रांस की मैगजीन मीडिया पार्ट ने बुधवार को दावा किया कि रिलायंस डिफेंस से समझौता करने के अलावा दैसो एविएशन के पास कोई और विकल्प नहीं था। दैसो के इंटरनल डॉक्युमेंट्स से इसकी पुष्टि होती है।
इससे पहले मीडिया पार्ट को दिए इंटरव्यू में फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने खुलासा किया था कि किस तरह रिलायंस को पार्टनर बनाने के लिए फ्रांस की सरकार को भारत सरकार ने कहा था। हालांकि दसॉल्ट ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा था राफेल सौदा दो सरकारों के बीच हुआ है।
वहीं, भारतीय रक्षा मंत्रालय ने भी ओलांद के दावे को विवादास्पद और गैरजरूरी बताया था। मंत्रालय ने कहा था कि भारत ने ऐसी किसी कंपनी का नाम नहीं सुझाया था। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक, समझौते में शामिल फ्रेंच कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट वैल्यू का 50% भारत को बतौर ऑफसेट या री-इंवेस्टमेंट देना था। लेकिन नए खुलासे ने फिर सवाल खड़े कर दिए।
Dassault Aviation clarified that it had "freely chosen" India's Reliance Group for a partnership to set up joint-venture DassaultReliance Aerospace Ltd (DRAL) to manufacture parts for Rafale aircraft and Falcon 2000 business jets
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— ANI Digital (@ani_digital) October 11, 2018
मीडियापार्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास ऐसे दस्तावेज मौजूद हैं, जिनसे फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के दावे की भी पुष्टि होती है। ओलांद ने बयान दिया था कि भारत सरकार ने ही अनिल अंबानी की रिलायंस का नाम प्रस्तावित किया था। ऐसे में दसॉल्त एविएशन के पास भारत की दूसरी रक्षा कंपनी को चुनने का विकल्प नहीं था।
राफेल डील को लेकर यह बात ऐसे वक्त में सामने आया है जब रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण गुरुवार को तीन दिनों के लिए फ्रांस की यात्रा पर जाने वाली हैं। उनकी इस यात्रा का मकसद 36 राफेल जेट के निर्माण का जायजा लेना है। राफेल सौदे पर कांग्रेस लगातार केंद्र सरकार को घेर रही है। कांग्रेस का कहना है कि यह डील महंगी है और इसमें घोटाला हुआ है। राहुल गांधी का आरोप है कि मोदी के कहने पर ही रिलायंस को राफेल डील में दैसो कंपनी का साझेदार बनाया गया।
राहुल गांधी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे के फैसले के बारे में पूछा है। यह बहुत ही आसान है। प्रधानमंत्री ने फैसला किया. पीएम के फैसले को सही ठहराने की प्रक्रिया का आविष्कार अभी होना है। लेकिन काम शुरू हो गया है।”