नई दिल्ली | मोदी सरकार के नोट बंदी के फैसले के बाद चारो तरफ से विरोध के सुर सुनाई देने लगे है. भारत से ही नही बल्कि विदेशो में भी , मोदी सरकार के इस कदम की आलोचना हो रही है. कल अमेरिका के पूर्व वित्त मंत्री ने नोट बंदी को एक गलत फैसला बताया तो आज आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने भी विमुद्रीकरण पर सवाल खड़े किये है. उन्होंने कहा की हम केवल नोट बदल रहे है, कालेधन वालो को पकड़ नही रहे है.
आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर केसी चक्रवर्ती ने हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए कहा की देश में मौजूद 17 लाख करोड़ रूपए अगर उन लोगो के हाथ में चला गया जो टैक्स नही देते तो यह कालाधन है और अगर यह उन लोगो के हाथ में है जो टैक्स देते है तब यह कालाधन नही है. अगर आप यह कहते है की नोट बंदी से कालेधन पर पाबंदी लग जायेगी तो यह गलत है.
इसके बारे तर्क देते हुए केसी चक्रवर्ती ने कहा की कोई भी अमीर जो टैक्स नही देता वो कालाधन अपने तकिये के नीचे छुपा कर नही रखता. देश के इनकम टैक्स विभाग और प्रवर्तन विभाग को सब पता है की कालाधन कहाँ और किसके पास लेकिन वो कार्यवाही नही करता. कालेधन का मामला पूर्णतया प्रशासनिक मामला है. नोटबंदी से हम केवल नोट बदल रहे है , उनको नही पकड़ रहे जो टैक्स नही दे रहे .
केसी के अनुसार हमारे देश का इनकम टैक्स विभाग सुचारू रूप से काम नही कर रहा. आरबीआई पर सवाल उठाते हुए केसी ने कहा की अगर आरबीआई के पास पर्याप्त मात्र में करेंसी है तो डेबिट को एक सीमा में क्यों बाँधा हुआ है. अगर छह महीने भी ऐसी व्यवस्था चली तो देश में अफरा तफरी का माहौल होगा और अवव्यस्था फैलने का डर है. केसी ने यह भी बताया की 2012 में भी युपीए सरकार ने विमुद्रिक्र्ण की बात की थी लेकिन तब हमने मना कर दिया था.