NDTV बैन पर सुनिए रविश कुमार का पक्ष, फ़ोन पर दिया इंटरव्यू हुआ वायरल

फोटो साभार - NDTV

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नई दिल्ली | NDTV पर IB मिनिस्ट्री के बैन के बाद रविश कुमार का प्राइम टाइम कार्यक्रम पहले ही सोशल मीडिया पर वायरल हो चुका है. इसके अलावा महाराष्ट्र के पत्रकार विनोद कापरी ने फ़ोन पर , रविश कुमार से केंद्र सरकार के प्रतिबंध के बारे में राय जाननी चाही. रविश कुमार ने अपने इंटरव्यू में साफ़ कहा की केंद्र सरकार की यह कार्यवाही हमारा शोषण करने और हमें दबाने के लिए की जा रही है.

आइये पढ़ते है बातचीत के अंश 

पत्रकार ने रविश से सवाल किया की IB मिनिस्ट्री ने NDTV को एक नोटिस भेजा है जिसके जवाब में हमने आपकी सफाई को पढ़ा है. आपको क्या लगता है की केंद्र सरकार की यह कार्यवाही , NDTV की स्वतंत्र रिपोर्टिंग जो आप लोग करते है , उसको दबाने की और आपको हैरश करने की कोशिश है. इस पर रविश कुमार ने कहा ‘पूरी तरह से , पूरी तरह से. मैं चाहता भी हूं कि महाराष्ट्र के जो सजग दर्शक है वो इस बात को नोट में ले कि ये दो तरह से हो रहा है। एक नोटिस भेजकर दबाने की कोशिश कि जा रही है. दूसरा नसीहत दी जा रही हैं.

रविश कुमार ने आगे कहा की नसीहत ये दी जा रही कि आप राजनीति ना करें, आप सवाल ना करें और आप अथोरिटी को कोई सवाल ना करें? जबकि संविधान की बुनियादी समझ यहीं कहती हैं कि अथोरिटी वहीं होती है, जिसकी एकाउंटीबिलीटी होती है. इसीलिए अथोरिटी से सवाल करना पत्रकार का बुनियादी काम है. और ये सलाह मंत्री से लेकर संत्री तक को दिनभर घूम-घूम कर दे रहे है. लोगों को समझना चाहिए कि हमारा क्या होगा. दो-चार पत्रकार जिन्हें हिन्दुस्तान इस बात के लिए जानता है कि वो दुनिया का सबसे बड़ा और महान लोकतंत्र है.

 देश में पत्रकारिता के स्तर के बारे में बात करते हुए रविश कुमार कहते है की वो अगर अलग बात करने वाले पत्रकारों को जिनकी संख्या वैसे भी मुल्क में दस या पच्चीस रह गई है, उनकी आवाज़ अगर बर्दाश्त नहीं कर सकता तो इस मुल्क के लोग ऐसी पत्रकारिता को सर्पोट नहीं कर सकते, तो वो क्या करेगें? वो अपने हाथों से इस लोकतंत्र का गला घोंट देेगें. जो हो रहा है उनके साथ इससे सर्तक रहने की जरूरत है.
रवीश यही नही रूकते वो आगे कहते है कि जब पत्रकारिता का आप गला घोंटते है तो किसी संपादक की नौकरी नहीं जाती बल्कि लाखों लोगों की आवाज को आप दबा देते हो. लाखों लोगों की जिन्दगी के बदले आप किसी कारपोरेट से सौदा करते हैं. इसलिए ये बहुत जरूरी है कि जब भी पत्रकारिता पर सवाल हो, सवाल होना चाहिए.

 

आगे सुनिए और क्या कहा रविश कुमार ने 

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