AMU को एक ही समुदाय से जोड़कर न देखें, देश में यूनिवर्सिटी का अहम योगदान

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देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद बुधवार को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के दीक्षांत समारोह में शामिल हुए. इस दौरान कोविंद ने कहा कि एएमयू को एक ही समुदाय से जोड़कर देखने की जरूरत नहीं है. क्योंकि इसकी स्थापना के लिए आर्थिक सहायता बनारस के महाराजा ने भी दी थी.

अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि समारोह में कहा कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में आकर मुझे बहुत खुशी हो रही है. राष्ट्रपति ने कहा कि आधुनिक भारत के साथ-साथ दक्षिण-एशिया और दुनिया के अन्य क्षेत्रों में अपने विद्यार्थियों के योगदान के लिए AMU मशहूर है. यह यूनिवर्सिटी देश के विकास में अपनी खास भूमिका निभाती रही है. इथियोपिया के दौरे पर वहां के प्रधानमंत्री की पत्नी ने बताया कि वे भी AMU की छात्रा रही हैं.

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-रत्न से अलंकृत खान अब्दुल गफ्फार खान इसी विश्वविद्यालय के छात्र रहे. डॉक्टर यूसुफ मोहम्मद दादू दक्षिण अफ्रीका की आजादी की लड़ाई में पहली कतार के सेनानियों में थे. डॉक्टर जाकिर हुसैन ने यहां शिक्षा प्राप्त की और यहां वाइस चांसलर भी रहे.

kovinउन्होंने कहा कि डॉक्टर अब्दुल कलाम का जीवन हर भारतवासी को प्रेरणा देता है. उन्हें बहुत खुशी होती है कि आज के नौजवान, उनको एक आदर्श के रूप में देखते हैं. उनमें शिक्षा के लिए जो ललक थी और कुछ कर गुजरने की जो लगन थी, उसके बल पर उन्होंने अपने वैज्ञानिक बनने के सपने को पूरा किया.

राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि एएमयू में लगभग 37 प्रतिशत तादाद लड़कियों की है. इस साल कुल पदक विजेताओं में आधे से अधिक लड़कियां हैं. ऐसी बेटियों की तरक्की में भविष्य के विकसित भारत की झलक दिखाई देती है. इन बेटियों की आवाज बदलाव की आवाज है, जिसे क्लासरूम और यूनिवर्सिटी के बाहर भी पूरा महत्व मिलना चाहिए.

इस्मत चुगताई और मुमताज़ जहान जैसी महिलाओं ने भारतीय समाज और एएमयू की शान में इजाफा किया है. अमरोहा के एक साधारण परिवार की बेटी खुशबू मिर्ज़ा ने चंद्रयान मिशन में अहम भूमिका निभाई है. खुशबू जैसी बेटियों ने ‘चिलमन से चांद’ तक के सफर को शानदार अंजाम दिया है.

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