सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार को पत्रकारों की मान्यता का संशोधित गाइडलाइन जारी की थी. जिसके तहत यदि कोई पत्रकार ‘फेक न्यूज’ के प्रकाशन या प्रसारण का दोषी पाया जाता है तो हमेशा के लिए उस पत्रकार की मान्यता रद्द कर दी जाती. लेकिन अब पीएम मोदी ने इस आदेश को बदल दिया है.
प्रधानमंत्री कार्यालय ने मंत्रालय को विज्ञप्ति वापस लेने का आदेश देते हुए कहा कि फ़र्ज़ी ख़बरों से निपटने की ज़िम्मेदारी प्रेस काउंसिल आॅफ इंडिया (पीसीआई) और न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) जैसी संस्थाओं की होनी चाहिए. सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने प्रधानमंत्री कार्यालय से इस संबंध में निर्देश मिलने की पुष्टि की है.
मंत्रालय की ओर से जारी संक्षिप्त बयान में कहा गया है, ‘फ़र्ज़ी ख़बर को नियमित करने के संबंध में दो अप्रैल, 2018 को पत्र सूचना कार्यालय से पत्रकारों के मान्यता पत्र के लिए संशोधित दिशा-निर्देश’ शीर्षक से जारी प्रेस विज्ञप्ति वापस ली जाती है.’
बता दें कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार शाम को एक प्रेस रिलीज़ ज़ारी करके कहा था कि अगर कोई पत्रकार फ़ेक न्यूज का प्रचार-प्रसार करता है तो उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है. क्या फ़ेक न्यूज़ है और क्या नहीं, इसका फ़ैसला प्रिंट और टेलीविज़न मीडिया की दो नियामक संस्थाएं ‘प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया’ और न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स असोसिएशन (एनबीए) करेंगी.
बयान के मुताबिक, ‘अब फेक न्यूज के बारे में किसी तरह की शिकायत मिलने पर यदि वह प्रिंट मीडिया का हुआ तो उसे प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया (PCI) और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का हुआ तो न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (NBA) को भेजा जाएगा. ये संस्थाएं यह तय करेंगी कि न्यूज फेक है या नहीं.’
इस बारें में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कहा कि केंद्र का फ़र्ज़ी ख़बर पर प्रेस विज्ञप्ति जारी करने के 24 घंटे के भीतर उसे वापस लेना लोकतंत्र और मीडिया की जीत है.