केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को अखिल भारतीय हिंदू महासभा की जनहित याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में मुस्लिम महिलाओं को नमाज पढ़ने के लिए मस्जिदों में प्रवेश दिए जाने की मांग की गई थी।
मुख्य न्यायाधीश ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एके जयशंकरन नांबियार की खंडपीठ ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता न ही पीडि़त पक्ष है और न ही उसके हित प्रभावित हुए हैं। याचिका में महासभा ने सबरीमाला मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले का हवाला देते हुए केंद्र को महिलाओं को नमाज के लिए मस्जिदों में प्रवेश पाने के वास्ते आदेश जारी करने का निर्देश देने की मांग की थी।
पीटीआई की खबर के मुताबिक, याचिका अखिल भारत हिंदू महासभा के अध्यक्ष स्वामी देथात्रेय साई स्वरुप नाथ ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा कि हाल ही में सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया है। इस फैसले के संदर्भ और समय की मांग को देखते हुए मुस्लिम महिलाओं को भी नमाज के लिए मस्जिदों में प्रवेश मिलना चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया था कि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिदों के मुख्य उपासना सभागार और नमाज के दौरान प्रवेश न देकर उनके साथ भेदभाव किया जाता है। इसके अलावा केरल स्थित मुस्लिम महिला संगठन भी अब सुन्नी मस्जिदों में प्रवेश पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए तैयार है। कोझिकोड स्थित प्रगतिशील मुस्लिम महिलाओं के समूह एनआईएसए की अध्यक्ष सामाजिक कार्यकर्ता वीपी जुहरा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने का फैसला किया। इसके तहत वह देश भर की सुन्नी मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश की अनुमति मांगेंगी।
गौरतलब है कि बीते दिनों केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था और मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को हरी झंडी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश से रोकना समता के अधिकार और उनकी धार्मिक स्वतंत्रता के खिलाफ है।