
अयोध्या में बाबरी मस्जिद की मिलकियत को राम मंदिर निर्माण के लिए सौंपने की वकालत करने के बाद मौलाना सलमान नदवी को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड बाहर का रास्ता दिखा चूका है. इसी बीच उन पर रिश्वत का गंभीर आरोप लगा है. लेकिन इन आरोपों से सहमत नहीं है.
ध्यान रहे योध्या सदभावना समन्वय समिति के महासचिव अमरनाथ मिश्रा ने मौलाना नदवी पर राम मंदिर निर्माण के लिए समझौते के नाम पर सौदेबाजी का आरोप लगाते हुए कहा कि नदवी ने सहमति बनाने के लिए पांच हज़ार करोड़ रुपये, दौ एकड़ ज़मीन और राज्यसभा की सीट मांगी. जिसकी तस्दीक इमाम कौंसिल के महासचिव हाजी मसरूर खान ने भी की.
लेकिन अब आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मौलाना नदवी के साथ खड़ा दिखाई दे रहा है. बोर्ड ने नदवी पर लगे आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि जो आरोप आयद किये जा रहे हैं वह बिलकुल बेबुनियाद हैं, क्योंकि इनके कोई सबूत नहीं हैं. यह एक आलिमे दीन को बदनाम करने की साजिश भी है.
बोर्ड के उपाध्यक्ष मौलाना जलालुद्दीन उमरी का कहना था कि ‘आज आरोप तो इतने सस्ते हो गये हैं कि कोई किसी पर भी लगा देता है. ठीक उसी तरह किसी सबूत के बगैर मौलाना सलमान नदवी पर आरोप लगाए गये हैं. अगर आरोप लगाने वालों के पास कोई सबूत है, तो वह पेश करें वरना एसी हरकतें न करें.
बोर्ड के सचिव जफरयाब जीलानी का इस संबंध से कहना था कि अगर ऐसा था तो आरोप आयद करने वाले इतने दिनों से खामोश क्यों थे, इसलिए हम पूछ रहे हैं कि अगर आरोप लगाने वालों के पास कोई सबूत हो तो दें वरना मौलाना को बदनाम न करें.