नई दिल्ली | नोट बंदी के बाद पुरे देश में अफरा तफरी का माहौल मचा हुआ है. शहर से लेकर गाँव तक, हर जगह लोग परेशान है. बैंक के पास कैश नही है तो एटीएम बंद पड़े हुए है. फिर भी बैंक और एटीएम के सामने लम्बी लम्बी लाइने लगी हुई है. क्या आप जानते है की नोट बंदी का आईडिया किसका था? अगर आप पीएम मोदी का नाम सोच रहे है तो आप गलत है.
प्रधानमंत्री मोदी को नोट बंदी का आईडिया देने वाले एक एनजीओ चलाते है. इनका नाम है अनिल गोकिल. यह एक मेकैनिकल इंजिनियर रह चुके है. साल 2000 में इन्होने एक एनजीओ ‘अर्थक्रांति ‘ की स्थापना की. साल 2013 को इन्होने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को एक प्रेजेंटेशन दिया था. बोकिल को पहले केवल 9 मिनट का समय मिला था लेकिन बाद में यह प्रेजेंटेशन 2 घंटे तक चला.
अनिल गोकिल के इसी प्रेजेंटेशन से ही मोदी को नोट बंदी का आईडिया मिला. जब मोदी ने नोट बंदी की घोषणा नि तो अचानक से अनिल गोकिल सुर्खियों में आ गए. लेकिन अब अनिल गोकिल मोदी सरकार से नाराज है. अनिल गोकिल ने मुंबई मिरर से बात करते हुए कहा की मैं मंगलवार को मोदी जी से मिलने दिल्ली जाने वाला था लेकिन वहां से कोई सन्देश नही आया.
अनिल गोकिल के अनुसार जो हमने सुझाव दिए थे उसमे से सरकार ने वो ही चुने है जो उनको सूट करते थे. हमने बड़े नोट को बंद करने का सुझाव दिया था लेकिन उन्होंने 2000 का नोट चला दिया. हमारे पांच सुझावों में से केवल दो को ही अपनाया गया है. प्रेजेंटेशन देते समय हमने कहा था की अगर आप इन पांच सुझाव को मान लेते है तो देश के एक भी आदमी को परेशानी से न गुजरना पड़ता.
बोकिल ने कहा की न इस कदम का स्वागत किया जा सकता है और न ही इसे स्वीकार किया जा सकता है लेकिन हम इसे मानने के लिए मजबूर है. सरकार ने हमारे दिए गए रोड मैप से काम नही किया. उन्होंने अपनी पसंद को सर्वोपरी रखा. अगर वो हमारे सुझाब मानते तो देश की व्यवस्था की सूरत ही बदल जाती जिसका लोगो को काफी फायदा पहुँचता.
बोकिल ने बताया की उनकी टीम इस पर पिछले 16 साल से रिसर्च कर रही है. हमने रिसर्च के बाद जो सुझाव सरकार को दिए उसमे हमने गारंटी दी थी की इससे एक आदमी को भी परेशानी नही होगी बल्कि केवल कालाधन रखने वाले, कालाबाजारी करने वाले, आतंकवाद, और फिरौती वालो पर प्रभाव पड़ता.