इलाहबाद | अभी हाल ही में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी से हुई करीब 70 बच्चो की मौत के बाद पुरे देश में रोष फ़ैल गया. हालाँकि तब सरकार ने इसे अस्पताल प्रशासन की लापरवाही बताकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश की. लेकिन उत्तर प्रदेश में इस तरह का यह पहला मामला नही था. एक जाँच रिपोर्ट सामने आने के बाद खुलासा हुआ है की कुछ महीने पहले भी ऐसा ही हादसा हो चूका है.
दरअसल इसी साल 6 और 7 जून को प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बीएचयु सर सुन्दरलाल अस्पताल में कई मरीजो का ऑपरेशन हुआ था. बाद में इन मरीजो में से कई की मौत हो गयी. स्थानीय अख़बार की खबर के अनुसार ऑपरेशन के बाद मरीजो को मेडिकल ऑक्सीजन की जगह नाइट्रस ऑक्साइड गैस दी. जिसकी वजह से 20 मरीजो की मौत हो गयी. हालाँकि अस्पताल प्रशासन ने इस बात से इनकार किया.
उन्होंने 3 मरीजो के मौत की बात स्वीकारी. बाद में इस मामले पांच पीड़ित परिवारों ने वाराणसी के लंका थाने में गैर-इरादतन हत्या की एफआईआर दर्ज कराई. सरकारी जांच में इस बात की पुष्टि हुई की मरीजो को ऑक्सीजन की जगह गलत गैस देने से उनकी मौत हुई. जांच में चौकाने वाली बात यह पता लगी की जिस ऑक्सीजन कंपनी पारेरहाट कंपनी को ऑक्सीजन सप्लाई करने का ठेका दिया गया था उसके पास ऑक्सीजन प्रोडक्शन करने का लाइसेंस ही नही था.
बताया जा रहा है की पारेरहाट कंपनी इलाहाबाद सिटी नॉर्थ सीट से बीजेपी विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी की है. मंगलवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई की. कोर्ट ने यूपी के स्वास्थ्य विभाग के डायरेक्टर जनरल को तीन अनुभवी डॉक्टर्स से मामले की जांच कराने का आदेश दिया. इसके अलावा जांच पूरी होने पर रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में हाई कोर्ट जमा करने का भी आदेश दिया गया. मामले की अगली सुनवाई 27 अक्टूबर को होगी.