नई दिल्ली । गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की बीच काँटे की टक्कर दिखायी दे रही है। इस बार भाजपा के लिए राह इतनी आसान नही है इसलिए चुनाव जीतने के लिए भाजपा हर तरह के हथियार का इस्तेमाल कर रही है। भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी समेत पूरी कैबिनेट चुनाव प्रचार में झोंक दी है। इसके अलावा प्रधानमंत्री भावनात्मक अपील के ज़रिए वोटों की अपील कर रहे है।
प्रधानमंत्री के चुनाव प्रचार में कूदने के बाद लोगों को उम्मीद थी की मोदी जी लोगों को गुजरात के उस विकास मॉडल के बारे में ज़रूर बताएँगे जिसके बल पर उन्होंने 2014 लोकसभा चुनावों में वोट माँगी थी। लेकिन हैरानी की बात यह है की मोदी के भाषण से यह सब ग़ायब है। बात हो रही है तो मंदिर-मस्जिद, अफ़ज़ल, नीच, डोकलाम और अब पाकिस्तान की। रविवार को मोदी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया की वे पाकिस्तान के साथ मिलकर गुजरात का चुनाव लड़ रहे है।
मोदी ने सबूत के तौर पर एक मीटिंग का ज़िक्र किया। उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर के घर पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री के साथ एक बैठक हुई। जिसमें मनमोहन सिंह, हामिद अंसारी जैसे नेता भी मौजूद थे। मोदी के इस आरोप ने जैसे देश में सियासी घमासान मचा दिया। हालाँकि कांग्रेस ने इस तरह की किसी मीटिंग से इंकार किया लेकिन जानकारो का कहना है की अगर इस तरह की कोई बैठक हुई तो यह मोदी सरकार की भी नाकामी है।
उधर गुजरात चुनाव में पाकिस्तान की एंट्री के बाद पाक की और से भी जवाब आया है। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता डॉ. मोहम्मद फैसल ने ट्वीट कर मोदी पर तंज कसते हुए कहा की आप अपने बल पर चुनाव जीतिए। उन्होंने ट्वीट कर लिखा,’ अपनी चुनावी बहस में भारत को पाकिस्तान को घसीटना बंद करना चाहिए। साजिशों की बजाय अपने दम पर चुनावी जीत हासिल करने का प्रयास करेंगे। ऐसे आरोप बेबुनियाद और गैरजिम्मेदाराना हैं।’
पाक के जवाब के बाद आम आदमी पार्टी के नेता कुमार विश्वास ने भी ट्वीट किया। उन्होंने लिखा,’अगर विपक्षी नेता दुश्मन देशों के राजनयिकों से मिल कर षड्यंत्र कर रहे थे तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार में बैठे लोग उन्हें पकड़कर दंडित करने की बजाय चुनावों में इस आशंकित देशद्रोह को वोट माँगने की अपील कर के भुना रहे हैं ये उससे भी ज़्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है। क्या होगा देश का।’
India should stop dragging Pakistan into its electoral debate and win victories on own strength rather than fabricated conspiracies, which are utterly baseless and irresponsible.
— Dr Mohammad Faisal (@ForeignOfficePk) December 11, 2017
अगर विपक्षी नेता दुश्मन देशों के राजनयिकों से मिल कर षड्यंत्र कर रहे थे तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है और सरकार में बैठे लोग उन्हें पकड़कर दंडित करने की बजाय चुनावों में इस आशंकित देशद्रोह को वोट माँगने की अपील कर के भुना रहे हैं ये उससे भी ज़्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है.क्या होगा देश का??
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) December 11, 2017