लखनऊ उत्तर प्रदेश विधानसभा ने वर्ष 2013 में हुए मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान सूबे के वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री मुहम्मद आजम खां का कथित ‘स्टिंग ऑपरेशन’ करने वाले एक निजी समाचार चैनल के सम्बन्धित कर्मचारियों को सदन में पेश होने के लिये एक हफ्ते की मोहलत दे दी।
विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे द्वारा सदन में पढे गए खत में चैनल ने स्टिंग की जांच करने वाली समिति की रिपोर्ट भी मांगी है। इस मामले में जवाब देते हुए आजम खां ने कहा कि उन पर लगाए गए गम्भीर आरोपों से उन्हें बहुत तकलीफ हुई है और वह इस्तीफा देने को तैयार हैं। इस मामले पर बीजेपी को छोड़कर बाकी लगभग सभी दल आजम के साथ नजर आए। नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह आजम का दर्द समझ सकते हैं। इसी बीच, भाजपा के सदस्य शोर करते हुए सदन के बीचो-बीच आ गए। जिसके कारण हंगामे के कारण सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिये स्थगित करनी पड़ी।
गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर में सितम्बर 2013 में हुए दंगों के दौरान राज्य के वरिष्ठ काबीना मंत्री आजम खां की भूमिका के बारे में एक टीवी चैनल के स्टिंग ऑपरेशन की जांच के लिए गठित उत्तर प्रदेश विधानसभा की जांच समिति ने खां को क्लीन चिट देते हुए संबंधित चैनल के तत्कालीन पदाधिकारियों को उनकी अवमानना का दोषी करार दिया और सदन से उनके विरुद्व समुचित दण्ड निर्धारण की संस्तुति की है।
जांच समिति ने कहा था कि आजम खां के विरुद्व पर्याप्त साक्ष्य ना होते हुए भी उनको कठघरे में खड़ा करते हुए यह कहा गया कि उनके कहने से मुजफ्फरनगर दंगों के मुख्य अभियुक्त को रिहा कर दिया गया तथा एक समुदाय विशेष के व्यक्तियों की गिरफ्तारी तथा उनके खिलाफ तफ्तीश नहीं की गयी। यहां तक कहा गया कि उन्होंने इस प्रकार के निर्देश दिए थे कि ‘जो हो रहा है उसे होने दो’ जबकि ऐसा कोई भी साक्ष्य ‘आज तक’ चैनल के स्टिंग ऑपरेशन की रिकार्डिंग में नहीं मिला है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्टिंग ऑपरेशन के माध्यम से जिस प्रकार की विद्वेषपूर्ण एवं असत्य परिकल्पनाएं प्रसारित की गयीं उससे सामाजिक समरसता और सौहार्द को आघात पहुंचा और सांप्रदायिकता को बढ़ावा मिला। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसे खां का ‘चरित्र हनन’ करार दिया था। (नवभारत टाइम्स)