भड़काऊ भाषण के मामले में अल्लाहबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद मथुरा जेल से रिहा हुए डॉ कफील खान के कांग्रेस में शामिल होने की अटकले लगाई जा रही थी। जिसको उन्होने खारिज कर दिया। उन्होने कहा कि वह डॉक्टर और डॉक्टर ही बने रहना चाहते हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के फोन के बाद राजस्थान में रह रहे कफील ने बताया कि वह कांग्रेस ही नहीं बल्कि किसी भी राजनीतिक पार्टी में शामिल नहीं होंगे। उन्होने कहा, कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा किसी अन्य मामले में फंसाए जाने की आशंका के मद्देनजर मानवता के आधार पर मेरी मदद की थी, लेकिन इसका यह मतलब नहीं लगाया जाना चाहिए कि मैं कांग्रेस में शामिल होने जा रहा हूं।
कफील ने कहा, ”प्रियंका से राजनीति के सिलसिले में कोई भी बात नहीं हुई है और ना ही प्रियंका की तरफ से मुझे किसी तरह का कोई संकेत मिला है।” उन्होंने कहा, ”गत एक सितम्बर को इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद जब मेरी रिहाई में देरी हुई तो यह आशंका होने लगी कि उत्तर प्रदेश सरकार मुझे फिर किसी मामले में फंसाने की तैयारी कर रही है। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार है और मथुरा से भरतपुर का रास्ता महज 20 मिनट का है, लिहाजा प्रियंका ने मुझे भरतपुर आने की पेशकश की थी।”
कफील ने प्रियंका का शुक्रिया अदा करते हुए कहा कि उनकी मेहरबानी से उन्हें राजस्थान में सुरक्षा मिल गई है। कफील ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि वह उन्हें गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में अपने पद पर बहाल करें ताकि वह लोगों की सेवा कर सकें। उन्होंने कहा कि वह बिहार के बाढ़ग्रस्त इलाकों में जाकर पीड़ित लोगों की सहायता करना चाहते हैं और उन्होंने इसके लिए तैयारी भी कर ली है।
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान कथित भड़काऊ भाषण के मामले में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत डॉ. कफील खान हिरासत में ले लिया गया था।