वौइस् हिंदी नेटवर्क | मोदी सरकार के नोट बंदी के फैसले के बाद देश के हर बैंक और एटीएम के सामने लम्बी लम्बी लाइन लगी हुई है. देश में करेंसी की भारी किल्लत है. ऐसे में आरबीआई और वित्त मंत्रालय , देश में करेंसी की कमी को पूरी करने के लिए लगातार मंथन कर रहे है. लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार आरबीआई के पास पर्याप्त मात्र में करेंसी ही नही है. ऐसे में देश के लोगो की मुश्किलें आने वाले दिनों में और बढ़ सकती है.
सूत्रों से मिली खबर के अनुसार आरबीआई ने करेंसी छापने के लिए प्रयुक्त पेपर के लिए नए टेंडर निकाले है. आरबीआई करेंसी छापने के लिए जिस कागज़ का इस्तेमाल करता है उसका एक बड़ा हिस्सा अमेरिका , इंग्लैंड और जर्मनी से आयात किया जाता है. देश में भारतीय करेंसी का केवल 10 फीसदी कागज ही उपलब्ध होता है, बाकी 90 फीसदी कागज़ इन्ही देशो से आयात किया जाता है.
खबर है की रिज़र्व बैंक के पास करेंसी छापने के लिए कागज का भारी आभाव है. मैसूर कागज मिल से हो रही कागज की सप्लाई से केवल पांच फीसदी नोट ही छप रहे है. चूँकि अब देश में नोटों की भारी किल्लत है इसलिए आरबीआई पर भारी मात्रा में नोट छापने का भारी दबाव है. इसी को देखते हुए रिज़र्व बैंक ने वित्त मंत्रालय को चिट्ठी लिखकर अपनी परेशानी से अवगत कराया है.
वित्त मंत्रालय को भेजी चिट्ठी में आरबीआई ने लिखा की की देश में करेंसी के फ्लो को दुरुस्त करने के लिए हमें लगातार करेंसी को छापना पड़ रहा है. देश में नोटों की कमी को पूरा करने के लिए करीब 22 हजार मीट्रिक टन करेंसी कागज़ की जरुरत है. अभी हमारे पास जरुरत का केवल दस फीसदी कागज है. हमें मध्यप्रदेश के हौशंगाबाद से भी पेपर की सप्लाई नही मिल रही है क्योकि वहां भी कागज़ नही है.
इसके अलावा आरबीआई ने पुराने 500 और 1000 के नोटों के स्क्रैप का जिक्र करते हुए लिखा की देवास और नासिक प्रिंटिंग प्रेस में पुराने नोटों को हटाने का काम भी चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है. जुलाई में नए 500 और 1000 के नोट छापने का आर्डर दिया गया था जिसकी प्रिंटिंग खत्म हो चुकी है, इसलिए कुछ नोट प्रिंटिंग मशीन में है तो कुछ छप कर तैयार है. यहाँ पर रोजाना पांच पांच लाख नोट छापे जा रहे थे. सरकार के नोट बंदी फैसले के बाद ये सब अवैध हो गए है इसलिए इनको हटाया जा रहा है.
कागज़ के अलावा रिज़र्व बैंक ने नोट छापने में प्रयुक्त होने वाली स्याही के लिए भी टेंडर जारी करने के आदेश दिया है. स्विट्ज़रलैंड की कंपनी एसआईसीपीए से स्याही की आपूर्ति होती है. फ़िलहाल सवाल यही है की जब आरबीआई के पास न कागज है , न स्याही , तो कैसे होगी देश में नोटों की कमी पूरी.