नागपुर के एक पब्लिशर द्वारा छापी गई किताब में सिखों को मुस्लिमों के खिलाफ बताने की कोशिश की गई. जिस पर अब सिख संगठन भड़क उठे है. इन किताब में सिख गुरुओं के संघर्ष को मुस्लिमों के खिलाफ बताने की कोशिश की गई.
यूनाइटेड सिख मूवमेंट और लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसाइटी जैसे सिख संगठनों ने इस आपत्तिजनक किताब के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का हाथ करार दिया है क्योंकि पब्लिशर का अड्रेस और संघ का मुख्यालय दोनों ही नागपुर में है.
लोक भलाई संस्था के अध्यक्ष बलदेव सिंह सिरसा ने कहा कि किताब में ऐसा दिखाया गया है जैसे कि सिख गुरु अपने सिद्धांतों और कारणों के बजाय देश के लिए लड़ रहे थे. इसमें राष्ट्रवाद और हिंदुत्व पर ही फोकस किया गया है. साथ ही गुरुओं को राष्ट्रभक्त दिखाने की कोशिश की गई.
सिरसा के अनुसार, एक किताब में बताया गया कि जहांगीर ने पांचवें सिख गुरु अर्जुन देव पर अत्याचार के समय सैनिकों को आदेश दिया कि उन्हें एक गाय के नीचे लिटा दिया जाए. इसके बाद गोहत्या कर दी गई.’ किताब में आगे लिखा गया है कि गुरु जी गोभक्त थे और उन्होंने जहांगीर की आज्ञा मानने से पहले कहा कि उन्हें पवित्र रावी नदी में डूबकी लगाने दिया जाए.
सिरसा ने कहा, “इसी किताब में सिखों के नौवें गुरु तेग बहादुर की शहादत को कश्मीरी पंडितों के बजाय हिन्दू समुदाय का शहादत बताया गया है. इसके अलावा गुरु गोविंद सिंह नाम के एक किताब में लिखा गया है कि 10वें सिख गुरु में हिन्दू रक्त था.
एक दूसरी पत्रिका गुरु पुत्तर में कथित तौर पर गुरु गोविंद सिंह पर औरंगजेब के हमले को गलत तरीके से दिखाया गया है. ऐसे में अब सिरसा किताब पर प्रतिबंध के लिए पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट का रुख करेंगे.