देश भर में राम के नाम पर भगवा संगठनों का अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय को आतंकित करना कोई नया काम नहीं है. बावजूद आज भी मुस्लिम कौम राम को बड़े आदर्श के रूप में माना जाता है. इसलिए उन्हें इमाम-ए-हिन्द तक के लकब से नवाजा गया.
मशहूर इस्लामिक शायर अल्लामा इकबाल ने राम की शान में कहा था कि
लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द।
सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द।।
ये हिन्दियों के फिक्रे-फ़लक उसका है असर,
रिफ़अत में आस्माँ से भी ऊँचा है बामे-हिन्द।
इस देश में हुए हैं हज़ारों मलक सरिश्त,
मशहूर जिसके दम से है दुनिया में नामे-हिन्द।
है राम के वजूद पे हिन्दोस्ताँ को नाज़,
अहले-नज़र समझते हैं उसको इमामे-हिन्द।
एजाज़ इस चिराग़े-हिदायत का है ,
यहीरोशन तिराज़ सहर ज़माने में शामे-हिन्द।
तलवार का धनी था, शुजाअत में फ़र्द था,
पाकीज़गी में, जोशे-मुहब्बत में फ़र्द था।
(शब्दार्थ :लबरेज़ है शराबे-हक़ीक़त से जामे-हिन्द । सब फ़ल्सफ़ी हैं खित्ता-ए-मग़रिब के रामे हिन्द ।।= हिन्द का प्याला सत्य की मदिरा से छलक रहा है। पूरब के सभी महान चिंतक इहंद के राम हैं; फिक्रे-फ़लक=महान चिंतन; रिफ़अत=ऊँचाई; बामे-हिन्द=हिन्दी का गौरव या ज्ञान; मलक=देवता; सरिश्त=ऊँचे आसन पर; एजाज़=चमत्कार; चिराग़े-हिदायत=ज्ञान का दीपक; सहर=भरपूर रोशनी वाला सवेरा; शुजाअत=वीरता; फ़र्द=एकमात्र, अद्वितीय; पाकीज़गी= पवित्रता)
राम से ये मुहब्बत आज भी मुस्लिमों के दिल में है. जिसका नजारा रामनवमी के जुलूस में देखने को मिला. जुलुस में आए राम भक्तों की सेवा में मुसलमान लीन नजर आए. ये मुहब्बत उन लोगों के नाम पर करारा तमाचा है. जो राम और बाबर के नाम पर लोगों को बांटते है.