भारत के इतिहास में पहली बार कोई एतिहासिक इमारत किसी कॉरपोरेट घराने के हाथों में गई हो. केंद्र की मोदी सरकार ने मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा बनवाए गए दिल्ली स्थित लाल किले को पांच वर्षों के लिए डालमिया भारत ग्रुप को सोपं दिया है.
डालमिया ग्रुप ने नरेंद्र मोदी सरकार की ‘अडॉप्ट ए हेरिटेज’ नीति के तहत इसे गोद लिया है. पांच साल के कांट्रैक्ट पर ऐतिहासिक इमारत को गोद लिया गया है. ये कांट्रैक्ट 25 करोड़ की कीमत पर हुआ है.
इस मामले के सामने आने के बाद से ही मोदी सरकार चोतरफा घिरी हुई है. इस मामले में आप नेता और कवि कुमार विश्वास ने शायरी के अंदाज में अपना गुस्सा निकालते हुए कहा कि औलादें निक्कमी हो जाए तो पुरखों की विरासत भी बेच देती है.
उन्होंने उन्होंने ट्वीट किया, “हनक सत्ता की सच सुनने की आदत बेच देती है, हया को, शर्म को आखिर सियासत बेच देती है, निकम्मेपन की बेशर्मी अगर आंखों पे चढ़ जाए, तो फिर औलाद, “पुरखों की विरासत” बेच देती है!”
हनक सत्ता की सच सुनने की आदत बेच देती है ,
हया को,शर्म को आख़िर सियासत बेच देती है ,
निकम्मेपन की बेशर्मी अगर आँखों पे चढ़ जाए ,
तो फिर औलाद, “पुरखों की विरासत” बेच देती है !??#RedFort— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) April 28, 2018
हालांकि इस मामले में पर्यटन मंत्रालय ने एक बयान जारी कर सफाई पेश की है कि सहमति पत्र (एमओयू) लाल किला और इसके आस पास के पर्यटक क्षेत्र के रखरखाव और विकास भर के लिए है. बयान में कहा गया है कि एमओयू के जरिए ‘गैर महत्वपूर्ण क्षेत्र’ में सीमित पहुंच दी गई है और इसमें स्मारक को सौंपा जाना शामिल नहीं है.
बता दें कि सरकार ने ‘एडॉप्ट ए हेरीटेज’ स्कीम सितंबर 2017 में लॉन्च की थी. देश भर के 100 ऐतिहासिक स्मारकों के लिए ये स्कीम लागू की गई है. इसमें ताजमहल, कांगड़ा फोर्ट, सती घाट और कोणार्क मंदिर जैसे कई प्रमुख स्थान हैं. ताज महल को गोद लेने के लिए जीएमआर स्पोर्ट्स और आईटीसी अंतिम दौर में है.