कठुआ और उन्नाव रेप केस मामले में देश सहित पूरी दुनिया में मोदी सरकार की तीखी आलोचना हो रही है. ऐसे में अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी पर दुनिया भर के 600 से ज्यादा शिक्षाविदों और विद्वानों ने खुला ख़त लिख कर सवाल खड़े किये है.
इस पत्र पर भारत के संस्थानों के अलावा न्यूयॉर्क यूनिवर्सिटी, कोलंबिया यूनिवर्सिटी, हार्वर्ड जैसे संस्थानों के लोगों ने हस्ताक्षर है. शिक्षाविदों ने प्रधानमंत्री मोदी पर देश में बने गंभीर हालात पर चुप्पी साधे रहने का आरोप लगाया है.
प्रधानमंत्री को संबोधित पत्र में कहा गया है कि वे कठुआ, उन्नाव और उनके बाद की घटनाओं पर अपने गहरे गुस्से और पीड़ा का इजहार करना चाहते हैं. पत्र में लिखा गया, ‘हमने देखा है कि देश में बने गंभीर हालत पर और सत्तारूढ़ों के हिंसा से जुड़ाव के निर्विवाद संबंधों को लेकर आपने लंबी चुप्पी साध रखी है.’
इससे पहले देश के 49 रिटायर नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला खत लिखा था. खत में लिखा गया था कि कठुआ और उन्नाव की दर्दनाक घटनाएं दिखाती हैं कि सरकार अपनी बहुत ही मूल ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में भी नाकाम रही है. ये हमारा सबसे काला दौर है और इससे निपटने में सरकार और राजनीतिक पार्टियों की कोशिश बहुत ही कम और कमज़ोर है.
पत्र में आगे लिखा गया था कि नागरिक सेवाओं से जुड़े हमारे युवा साथी भी लगता है अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं. इस पत्र में प्रधानमंत्री से कहा गया है कि वो कठुआ और उन्नाव में पीड़ित परिवारों से माफ़ी मांगें और मामलों की फास्ट ट्रैक जांच करवाएं. पत्र में यह भी मांग की गई है कि प्रधानमंत्री नफ़रत भरे भाषणों और अपराधों से जुड़े लोगों को अपनी सरकार से हटाएं और इस पूरे मसले पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाएं.