बॉम्बे हाइकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस बीजी कोलसे पाटिल ने रविवार को सीबीआई स्पेशल कोर्ट के जज बीएच लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत को हत्या करार देते हुए अपनी हत्या की आशंका जताई है.
उन्होंने कहा कि जज बीएच लोया की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई. लेकिन मैं अन्याय के खिलाफ सच कहने से कभी डरूंगा नहीं. वे रांची में अलांयस फॉर जस्टिस एंड पीस के तत्वावधान में रविवार को मेन रोड स्थित होटल केन में जन सम्मेलन के आयोजन में बोल रहे थे.
जब जस्टिस पाटिल से यह पूछा कि आप अपनी हत्या की आशंका क्यों जता रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि जज लोया जब जिंदा थे, तब उनसे दो वकील और एक जिला जज मिलने आए थे. इनमें वकील और जिला जज की हत्या हो चुकी है. पता चला कि ट्रेन की बर्थ से गिरने से जिला जज की मौत हो गई, पर वह हत्या थी. वकील को नागपुर में मार डाला. एक अन्य वकील पर कंटेम्प्ट का केस चला. उन्हें जेल में मारने की योजना थी, हालांकि इसमें कामयाबी नहीं मिली.
उन्होंने कहा, एक्टिविस्ट होने के नाते लगातार हो रही हत्याओं के संबंध में मैंने सुप्रीम कोर्ट के वकील प्रशांत भूषण से बातचीत की। उनसे मदद मांगी. केस में सीधे हस्तक्षेप करने वाला मैं जिंदा बचा हूं, इसलिए ऐसी आशंका है.
पाटिल ने कहा कि वर्तमान समय लोकतंत्र के लिए अभूतपूर्व संकट का है. खुलेआम संविधान बदलने की कोशिश की जा रही है. आदिवासियों, दलितों, मुसलमानों पर प्रहार किये जा रहे हैं. आदिवासियों की पहचान को हिंदू के साथ जोड़ा जा रहा है.
उन्होंने कहा, आदिवासियों की जिन जमीनों पर खनिज हैं, वहां से उन्हें उखाड़ फेंका जा रहा है. जनआंदोलनों को दबाया जा रहा है. चार से पांच हजार लोगों को झारखंड में जेल में डाल दिया गया है. अब स्थिति यह है कि लाल किला के रखरखाव का जिम्मा डालमिया कंपनी को दे दिया जा रहा है, जबकि लाल किला राष्ट्रीय धरोहर है. किसी सरकार को यह हक नहीं की लाल किला को किसी प्राइवेट कंपनी को दिया जाये.