आतंकियों के लिए मौत का दूसरा नाम आरिफ खान, शौर्य चक्र से हुए सम्मानित

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दिल्ली में मंगलवार को राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राजस्थान के झुंझुनूं जिले के आरिफ खान को शौर्य चक्र से सम्मानित किया. इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण, तीनों सेनाओं के प्रमुख भी मौजूद रहे.

महज 23 साल की आयु में शौर्य चक्र का खिताब पाने वाले आरिफ को आतंकियों के लिए मौत का दूसरा नाम माना जाता है. 18 मार्च 2017 की अलसुबह श्रीनगर के पुलवामा में उन्होंने अपनी जान पर खेलकर आतंकियों को मार गिराया था.

16 ग्रेनेडियर के जवान आरिफ खान को पुलवामा में एक मकान में आतंकियों के छुपे होने की खबर मिली थी. जिसके बाद वे मकान की निगरानी कर रहे थे. इस दौरान खिड़की से कूद कर दो आतंकी फायरिंग करते हुए भाग निकले.

लेकिन जान की परवाह किए बगैर सिपाही आरिफ ने जवाबी फायरिंग करते हुए एक आतंकी को मार गिराया, दूसरे को पकड़ लिया गया. जिसकी बाद में मौत हो गई. इसी बहादुरी के लिए सेना ने इस जांबाज का नाम शौर्य चक्र सम्मान पाने वालों में शामिल किया.

बता दें कि आरिफ के परिवार के 12 सदस्य फिलहाल सेना में है. दादा यासिन खान ने सेना में ड्यूटी के दौरान 1965 व 1971 की लड़ाई लड़ी थी. परदादा भी सेना में थे. तीन भाई बहनों में सबसे बड़े आरिफ बचपन से ही अपने दादा की तरह सेना में भर्ती होकर देश सेवा की सोचने लगे थे.

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