सांप्रदायिकता के मुंह पर जोरदार तमाचा – ”मुस्लिम ने बचाई दो हिंदुओं की जान”

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रमज़ान में मेरा डेली का रूटीन है असर की नमाज़ के बाद सुनहरी मस्जिद बाई पास के पास शमशीर भाई के खेत से नींबू तोड़ने का, आज भी नमाज़े असर के बाद नींबू तोड़ने गया, तभी तेज़ आवाज़ आई लोगों की की सड़क पर एक्सीडेंट हुआ है. गांव से सब सड़क की तरफ भाग रहे थे मैं भी बाइक स्टार्ट करके सड़क की तरफ भागा, देखा तो दो नौजवान सड़क पर पड़े तड़प रहे थे और गांव-वाले सड़क पर आने जाने वाले गाड़ियों को रोकने की कोशिश कर रहे थे लेकिन कोई रुकने को तैयार नही था.

मैंने तुरंत गांव वालों से कहा कि जो लड़का ज़्यादा सीरियस है उसे मेरी बाइक पर बिठाओ, पोलिस भी आ चुकी थी, खैर बहुत मुशक्कत के बाद उसे बिठाया गया मेरी बाइक पर, पीछे उस घायल युवक को पकड़ के गांव का एक नौजवान विजय यादव बैठ गया और तुरंत मैं निकल गया अस्पताल की तरफ, रास्ते भर वो घायल नौजवान यही कहता रहा कि मेरे दो बच्चे हैं मुझे बचा लो.

नाम पूछने पर उसने अपना नाम विशाल मिश्रा और दूसरे घायल का नाम किशन गुप्ता मोहनसराय बनारस बताया, उसने अपने घर वालों का नंबर दिया जिससे उसके घर वालों से भी बात हो गई, रास्ते भर मैंने उसे कहा कि इंशा अल्लाह कुछ नही होगा दिलासा देते देते हम अस्पताल पहुंच गए जहां जीवन दीप अस्पताल के स्टाफ़ ने मानवता की ड्यूटी निभाते हुए तुरंत एडमिट किया बिना कोई पूछताछ, सीनियर सर्जन डॉक्टर ए के गुप्ता ने एक पल की देरी किये बगैर उन घायलों को आपरेशन थेटर में लिया.

अफ्तार का वक़्त हो चुका था मैं घर वापस आया अफ्तार किया एयर फिर अस्पताल वापस गया तो अल्हम्दुलिल्लाह दोनों नौजवान सही सलामत हैं विशाल अभी सो रहा है और किशन गुप्ता मुझे देख कर मुस्कुराने लगा. अस्पताल में मेरे अज़ीज़ चौरी के ज़िला पंचायत सदस्य प्रमोद यादव और जमुनीपुर के समाजसेवी बाबा राय उन नौजवानों के साथ लगे हैं.

सुनता था कि अफ्तार के वक़्त मांगी गई दुआ कभी रद्द नही होती. आज अफ्तार के वक़्त उस नौजवान के लिए दुआ की थी क्योंकि उसके लफ्ज़ मेरे कानों में गूंज रहे थे कि मेरे दो बच्चे हैं मुझे बचा लो और दर्द की शिद्दत से वो मुझे जब दबा रहा था बाइक चलते वक़्त तो उसका दर्द मुझे भी महसूस हो रहा था. मुझे बहुत खुशी हुई कि दोनों नौजवान बच गए.

रेहान हाशमी

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