दारूल उलूम देवबंद ने फतवा जारी कर मुस्लिम औरतों का घर के बाहर गैरमर्दो के हाथों से चूड़यिां पहनना शरीयत के खिलाफ बताया है.
फतवे में कहा गया कि जो महिलाएं बाजार में नामहरम (जिन से खून का रिश्ता न हो) मर्दों के हाथों से चूड़ियां पहनती हैं, वह नाजायज ही नहीं गुनाह भी है.
दरअसल, नगर के मोहल्ला बड़जियाउलहक निवासी अहमद गौड़ ने दारुल उलूम के इफ्ता विभाग से लिखित सवाल किया था कि हमारे यहां आम तौर पर चूड़ियां बेंचने व पहनाने का काम मनीहार बिरादरी से संबंध रखने वाले लोग करते हैं. औरतों को चूड़ियां पहनने के लिए घर से निकलना पड़ता है और अपने हाथ गैर मर्दों के हाथों मे देने पड़ते हैं. क्या इस तरह घर से निकलकर या घर में रहकर औरतों का गैर मर्दों से चूड़ी पहनना जायज है.
सवाल का जवाब देते हुए दारुल इस्ता ने कहा कि गैरमर्दो के हाथों से चूड़यिां पहनना सख्त गुनाह है. इससे हर मुस्लिम औरतों को बचना चाहिये. दारुल उलूम वक्फ के वरिष्ठ मुफ्ती, मुफ्ती आरिफ कासमी ने शरीयत की जानकारी देते हुए बताया कि उक्त फतवा पूरी तरह शरीयत पर आधारित है. उन्होंने बताया कि मुस्लिम महिला को पर्दे में रहने का हुक्म है. महिलाओं को किसी औरत से ही चूड़ियां पहननी चाहिए.
हालांकि फतवे में ये भी कहा गया है कि चूड़ियां पहनना गलत नहीं है. लेकिन वो किसी गैर मर्द के हाथों से न पहनी जाएं. मुस्लिम महिलाएं बाजार से चूड़ियां मंगाएं और खुद उन्हें पहनें.