ट्रिपल तलाक और समान नागरिक संहिता को लेकर चल रही बहस के बीच मुस्लिम महिलाओं ने हिन्दू मेरिज एक्ट की तरह मुस्लिम मेरिज एक्ट बनाये जाने की मांग की हैं.
ऑल इंडिया की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने इस बारें में कहा कि अगर मुस्लिम मेरिज एक्ट बन जाता हैं तो मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों की रक्षा होगी. उन्होंने कहा कि बोर्ड इसके लिए सुप्रीम कोर्ट से अपील करेगा.
शाइस्ता ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट से अपील की जायेगी कि हिन्दु मैरिज एक्ट की तरह ही मुस्लिम शरीयत को ध्यान में रखकर मुस्लिम मैरिज एक्ट बनाया जाए. जिसमे इस बात का ध्यान रखा जाए कि तलाकशुदा महिला को दूसरी शादी या खुद-मुख्तार होने तक पति उसका भरण-पोषण करे. इसके साथ ही च्चों को 18 साल के होने तक या फिर उनकी शिक्षा जारी रहने तक पिता उसका खर्च उठाए.
उन्होंने शराब के नशे में, एसएमएस, ईमेल या गुस्से में तलाक देना इस्लामी शरीयत के खिलाफ बताया. इसके अलावा उन्होंने कहा कॉमन सिविल कोड को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने आगे कहा, कहा कि तलाकशुदा महिलाओं के गुजारे-भत्ते की ज़िम्मेदारी वक़्फ़ बोर्ड के अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम महिला पर्सनल लॉ बोर्ड और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को भी संयुक्त रूप से उठाने चाहिए.