आगरा | पिछले एक महीने से देश में तीन तलाक को लेकर बहस छिड़ी हुई है. कुछ मुस्लिम महिलाओ और सामाजिक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका डाल, तीन तलाक पर रोक लगाने की मांग की है. इस याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने जब केंद्र सरकार का रुख जानना चाहा तो केंद्र ने तीन तलाक के विरोध में अपना हलफ़नाम अदालत में पेश किया.
इस हलफनामे से साफ था की मोदी सरकार तीन तलाक को देश में प्रतिबंधित करना चाहती है. कुछ लोगो ने केंद्र के इस कदम को यूनिफार्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में एक बढ़ा हुआ कदम बताया. मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र के इस कदम को शरियत में दखलंदाजी करार दे , ख़ारिज कर दिया. मुस्लिम पर्सनल लॉ ने मोदी को चेताते हुए कहा की अगर शरियत कानून में दखलंदाजी होती है तो वो इसका विरोध करेंगे.
इस मुद्दे पर राजनीती गरम हो चुकी है. मुस्लिम समाज भी इस मुद्दे पर बंटा हुआ नजर आ रहा है. एक तरफ जहा खुद मुस्लिम महिलाओ ने कोर्ट में तीन तलाके के खिलाफ याचिका डाली हुई है वही आज आगरा में मुस्लिम महिलाओ ने एक महापंचायत का आयोजन किया. इस पंचायत में मुस्लिम महिलाओ ने मोदी को खूब खरी खरी सुनाई. मुस्लिम महिलाओ ने केंद्र के इस कदम को शरियत कानून में दखल देने वाला बताया.
मुस्लिम महिलाओ ने मोदी के मुस्लिम महिलाओ को न्याय दिलाने के बयान पर चुटकी लेते हुए कहा की मोदी पहले अपने आप को देखे. हमें बाद में न्याय दिलाये पहले जसोदा बेन को इन्साफ दिलाये जो 30 साल से न्याय के लिए भटक रही है. अपने यहाँ चल रहे 30 फीसदी तलाक के मुकदमो पर गौर करे हमारे ऊपर नही क्योकि हमारे यहाँ एक फीसदी भी तलाक के केस नही चल रहे है.
मालुम हो की मोदी ने महोबा की रैली में कहा था की यह केंद्र सरकार को फर्ज है की मुस्लिम महिलाओ को भी समानता का अधिकार मिले. हम उनके अधिकारों की रक्षा करेंगे और उनको उनके अधिकार दिला कर रहेंगे. केवल धर्म के आधार पर महिलाओ के साथ भेदभाव को बर्दास्त नही किया जाएगा. आज की महापंचायत मोदी के उस भाषण की प्रतिक्रिया प्रतीत होती है.