नई दिल्ली – राजधानी नई दिल्ली से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर जिला मुज़फ़्फ़रनगर 5 साल पहले हुए दंगों के चलते सांप्रदायिक रूप से काफी संवेदनशील बना हुआ है। लेकिन आज भी ऐसे लोग है। जो दोनों ही धर्मों के धार्मिक स्थानों का सम्मान करते है। बल्कि उनकी देखभाल भी कर रहे है।
मुजफ्फरनगर शहर में लड्डेवाला से एक किमी दूर स्थित एक मंदिर की बीते 26 साल से एक मुस्लिम परिवार देखभाल कर रहा है। मुस्लिम बाहुल्य लड्डेवाला के निवासी 60 वर्षीय मेहरबान अली बाबरी मस्जिद की शहादत के बाद से ही इस मंदिर की देखभाल कर रहे है।
मेहरबान बताते है, ‘जितेंद्र कुमार मेरे सबसे करीबी दोस्तों में से एक था, जो इस जगह को छोड़कर चला गया। तनाव के बावजूद मैंने उसे रोकने की बहुत कोशिश की, लेकिन फिर भी अन्य परिवारों के साथ कुछ दिन बाद वापस आने के वादे के साथ वह चला गया। तब से यहां के निवासी ही इस मंदिर का ख्याल रख रहे हैं।’
एक अन्य स्थानीय जहीर अहमद ने कहा, ‘मंदिर की नियमित रूप से सफाई होती है और इसकी दीवारों की समय-समय पर पुताई भी की जाती है। हम चाहते हैं कि वे वापस आएं और मंदिर को संभालें।’ पूर्व नगरपालिका वार्ड सदस्य और स्थानीय नदीम खान ने कहा, ‘हर साल दिवाली से पहले यहां के लोग पैसे जमा करते हैं और इस मंदिर की रंगाई-पुताई करवाते है। वे हर दिन इसकी साफ-सफाई भी करते हैं।’
मंदिर के बगल में रहने वाले अहमद ने बताया कि अभी मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है। लेकिन 1992 से पहले यहां एक मूर्ति स्थापित थी। जब हिंदू परिवार यहां से जाने लगे, तब मूर्ति भी अपने साथ ले गए। स्थानीय लोगों के अनुसार, 1990 के दशक में इस जगह पर लगभग 20 हिंदू परिवार रहते थे और मंदिर लगभग 1970 के आसपास बनाया गया था।