देश के विभिन्न हिस्सों में बच्चों की चोरी का जो डर बना है, उसे खारिज नहीं किया जा सकता। दरअसल, गृह मंत्रालय ने जो आकडे जारी किए वे इस डर को और मजबूत ही बनाने का काम करते है।
मंत्रालय की ओर से जारी 2016 के आंकड़े बताते हैं कि उस साल पूरे भारत से करीब 55,000 बच्चों का अपहरण हुआ। इतना ही नहीं, यह आंकड़ा 2015 की तुलना में 30 फीसद ज्यादा है।
गृह मंत्रालय की 2017-18 की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2016 में 54,723 बच्चे अगवा हुए लेकिन केवल 40.4 फीसदी मामलों में ही आरोप पत्र दाखिल किए गए। वर्ष 2016 में बच्चों के अपहरण के मामलों में दोषसिद्धि की दर महज 22.7 फीसदी रही। वर्ष 2015 में ऐसे 41,893 मामले दर्ज किए गए जबकि वर्ष 2014 में यह संख्या 37,854 थी।
वर्ष 2017 के आंकड़े अभी प्रस्तुत नहीं किए गए हैं। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘हाल में हुए पीट-पीटकर हत्या के ज्यादातर मामलों के पीछे सोशल मीडिया पर बच्चा उठाने की अफवाहें थी। आंकड़े बताते हैं कि बच्चों के अपहरण का डर, खासकर ग्रामीण इलाकों में, पूरी तरह से बेबुनियाद नहीं है।
बता दें कि बीते दो महीने में बच्चा चोरी के संदेह में 28 से ज्यादा लोगों की पीट-पीटकर हत्या की जा चुकी है। हाल की घटना एक जुलाई को महाराष्ट्र के धुले में हुई जिसमें बच्चा चोर होने के शक में पांच लोगों की हत्या कर दी गई।