कश्मीर समस्या को लेकर केंद्र की मोदी सरकार ने आखिराकर अपनी नीति में परिवर्तन लाते हुए सभी पक्षों से बातचीत करने का फैसला किया है. इनमें हुर्रियत समेत सभी अलगाववादी संगठन भी शामिल है.
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कहा कि केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में “निरंतर” संवाद शुरू करने का फैसला किया है. सरकार ने इसके लिए खुफिया ब्यूरो के पूर्व निदेशक दिनेश्वर शर्मा को केंद्र के प्रतिनिधि के रूप में नियुक्त किया है.
अलगाववादियों से बातचीत के बारें में राजनाथ ने कहा, इंटेलिजेंस ब्यूरो के पूर्व डायरेक्टर दिनेश्वर शर्मा को यह पूरी आजादी होगी. वे जिनसे बात करना चाहें, कर सकते हैं. उन पर कोई प्रतिबंध नहीं है. यह नहीं कहा जा सकता कि उन्हें कब तक रिपोर्ट देनी होगी. बातचीत में समय लग सकता है.
उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि समस्या का समाधान हो. ऐसा कोई व्यक्ति जिसका किसी पार्टी से कोई लेनादेना नहीं है वह जम्मू-कश्मीर की जनता से बात करेंगे और यही सरकार चाहती है. ध्यान रहे केंद्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद से उसने कश्मीर को लेकर आक्रामक नीति अपनाई थी, लेकिन घाटी में स्थिति बिगड़ती जा रही और पिछले काफी दिनों से घाटी अशांत है.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. उमर अब्दुल्लाह ने ट्वीट कर कहा कि जम्मू-कश्मीर के लोगों की “वैध आकांक्षा” एक दिलचस्प मामला है. हालांकि उन्होंने पूछा कि ये कौन तय करता है कि जम्मू-कश्मीर के लोगों के लिए महत्वपूर्ण क्या है.
The “legitimate aspirations” of people of J&K is an interesting formulation. Who gets to decide what is legitimate? https://t.co/Qa97vrntuh
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 23, 2017