देश के हर नागरिक को मासिक वेतन देने पर विचार कर रही मोदी सरकार

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नई दिल्ली | नोट बंदी की घोषणा के समय प्रधानमंत्री मोदी ने देश से 50 दिन की मोहलत मांगी थी. उन्होंने कहा था की 30 दिसम्बर के बाद देश में हालात सामान्य हो जायेंगे और इमानदारो के अच्छे दिन शुरू हो जायेंगे. यह बात उन्होंने लगभग हर रैली में कही. 30 दिसम्बर गुजरने के साथ ही मोदी की मांगी गयी मियाद भी खत्म हो गयी. 31 दिसम्बर को जब खबर आई की मोदी राष्ट्र को संबोधित कर रहे है तो सबको लगा की आज उनके लिए कोई बड़ी घोषणा होगी.

लेकिन ऐसा नही हुआ. इससे लोग काफी निराश भी हुए. अब खबर मिली है की मोदी सरकार बजट में कोई बड़ी घोषणा कर सकती है. नोट बंदी से लोगो को हुई परेशानी के बाद सरकार लोगो को राहत देने के मुड में है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार देश के हर नागरिक को मासिक आय देने पर विचार कर रही है. इसकी लिए आम राय बन चुकी है.

इस योजना के अनुसार , सरकार देश के प्रत्येक व्यक्ति को 500 रूपए मासिक देने पर विचार कर रही है. इसके लिए तैयारिया की जा रही है. लन्दन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाय स्टैंडिंग ने इस योजना का खाका बुना है. गाय स्टैंडिंग ने बताया की निति आयोग के उपाध्यक्ष अरविन्द पनगढ़िया ने उनसे बात की और इस योजना के बारे में जानकारिया. गाय स्टैंडिंग ने यूनिवर्सल बेसिक स्कीम के बारे में काफी रिसर्च की है और उनकी रिसर्च को इकनोमिक सर्वे रिपोर्ट में शामिल किया गया है.

इस योजना को ट्रायल के रूप में मध्य प्रदेश के 8 गाँव में लागु किया गया. 2010 से 2016 के बीच लागु हुई इस स्कीम में पुरुष और महिला को 500 रूपए और बच्चो को 150 रूपए दिए गए. इससे उनकी आय में बढ़ोतरी दर्ज की गयी. इसके अलावा दिल्ली के 200 लोगो के बीच भी इस स्कीम को लागु किया गया. हालाँकि अभी भी सरकार इस असमंजस में है की वो केवल बेरोजगार को इसका फायदा दे या सभी नागरिको को.

आर्थिक जानकारो का कहना है की अगर सरकार यह योजना लागू करती है तो इसके दायरे में सभी लोगो को रखना जरुरी है. सरकार को अमीर-गरीब का भेद मिटाकर सभी लोगो को इसका लाभ देना चाहिए. अगर ऐसा नही होता तो यह योजना भी बाकी योजनाओं की तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जायेगी.

सब्सिडी की वजह से सरकार अभी भी जीडीपी का 3 से 4 फीसदी खर्च वहन करती है. अगर सरकार यह योजना लागू करती है तो भी सरकार को जीडीपी का 3 से 4 फीसदी खर्च वहन करना पड़ेगा. ऐसी सूरत में सरकार सब्सिडी खत्म करने पर विचार कर सकती है क्योकि सरकार दोनों योजनाओ को एक साथ लागु नही कर सकती.

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