देश में लगातार बढ़ती मॉब लिंचिंग की घटनाओं को लेकर भारत के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल टेक्स्ट के कारण मॉब लिंचिंग की घटनाएं बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि समाज में शांति और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया को जांच के दायरे में लाना होगा और यह जांच स्वयं देश के जागरुक नागरिक ही कर सकते हैं।
चीफ जस्टिस ने कहा कि कई मामलों में यह भीड़तंत्र में बदल जाता है और जीवन की हानि होती है। उन्होने कहा कि कृपया मुझे गलत न समझे क्योंकि मैंने फैसला लिखा है।उन्होंने कहा कि भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं की घटनाओं में पिछले कुछ दिनों में इजाफा हुआ है।
CJI ने कहा कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए पिछले दिनों खुद उन्होंने संसद से कड़ा कानून बनाने की सिफारिश की थी। उन्होंने लोगों से अपील की यदि वह कोई आपत्तिजनक संदेश अपने सोशल पेज पर देखते हैं तो उसे तुरंत डिलीट कर दें, उसे आगे ना बढ़ने दें।
There is a recent surge in mob lynching, please don't misunderstand me because I have authored the judgement, there is a recent surge in mob lynching based on the viral text on the social media and this leads to mobocracy and loss of life, in certain cases: CJI Dipak Misra pic.twitter.com/u63y2Xhn1M
— ANI (@ANI) July 24, 2018
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस दीपक मिश्रा के नेतृत्व वाली बेंच ने 17 जुलाई को केंद्र से कहा था कि पीट-पीटकर हत्या की घटनाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए संसद नए कानून बनाए। कोई नागरिक कानून को हाथ में नहीं ले सकता और कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्यों का फर्ज है।
बेंच में शामिल जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि राज्य सरकारों की यह जिम्मेदारी है कि समाज में कानून व्यवस्था और कानून का राज कायम करें। बेंच ने कहा कि राज्य इसे अनसुना नहीं कर सकते। भीड़तंत्र की घटनाओं से सख्ती के साथ निपटना होगा।