रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर के दावों को खारिज करते हुए जम्मू कश्मीर सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा कि नोटबंदी से तंकियों को फंडिंग पर कोई फर्क नहीं पड़ा, नहीं घाटी में हिंसा को कम करने में कामयाब हुई हैं.
राज्य भाजपा अध्यक्ष और जम्मू वेस्ट से विधायक सल पॉल शर्मा ने अतारांकित सवाल में पूछा था कि करंसी नोट्स को अवैध घोषित करने से घाटी/अन्य कहीं पर हिंसा पर क्या प्रभाव पड़ा है और क्या हिंसा के लिए जाली करंसी का प्रयोग हो रहा था? सवाल का जवाब देते हुए गृह मंत्रालय ने लिखित जवाब में कहा कि ‘ऐसी (हिंसा के लिए जाली करंसी के इस्तेमाल पर) कोई रिपोर्ट अब तक नहीं मिली हैं.’
गृह मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार, उनका जवाब पुलिस और इंटेलिजेंस एजेंसियों से मिले इनपुट्स के आधार पर था. जब उनसे पूछा गया कि क्या इसका मतलब यह है कि घाटी में पत्थरबाजी अपने आप रुक गई और नोटबंदी का इससे कोई लेना-देना नहीं है, तो अधिकारियों में से एक सरकारी जवाब के संदर्भ में कहा, ”सिर्फ इसका अर्थ ही वैसा है.”
याद रहें कि नोटबंदी के सप्ताह भर बाद ही रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को नोटबंदी की सफलता की बधाई देते हुए कहा था कि घाटी में नोटबंदी के बाद से कोई पत्थरबाजी नहीं हुई है. वहीँ केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू ने कहा था कि आतंकी फंडिंग को बुरी चोट पहुंचाने के अलावा, नोटबंदी का सबसे बड़ा असर यह है कि इसके चलते जम्मू-कश्मीर में पत्थरबाजी की घटनाओं में कमी आई है.