पूरी दुनिया में कल अन्तरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने की जोरदार तैयारिया जोरों पर है। ऐसे मे मुस्लिम रहनुमाओं का कहना है कि योग हिन्दुस्तान का कीमती सरमाया है मगर इसे किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिये।
ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना सज्जाद नोमानी ने कहा कि इस्लाम शारीरिक फिटनेस को बहुत प्रोत्साहित करता है। इस मजहब में तंदुरुस्त रहने से जुड़ी हर चीज को बेहतर माना गया हैं। उसी तरह बाकी धर्मों के रहनुमाओं ने भी अपनी-अपनी कौम के लोगों को फिट रखने के दीगर तरीके ईजाद किए हैं।
नोमानी ने कहा कि जहां तक योग का सवाल है तो एक कसरत के रूप में बेहतरीन चीज है। लेकिन उसके लिए किसी ऐसी क्रिया को अनिवार्य नहीं बनाया जाना चाहिए, जिसे दूसरे धर्म के लोग स्वीकार ना कर सकें। सबसे जरूरी बात यह है कि योग का राजनीतिक इस्तेमाल ना हो। मगर, अफसोस यह है कि ऐसा किया जा रहा है।
मौलाना नोमानी ने कहा कि किसी पर कोई खास शारीरिक अभ्यास थोपना सही नहीं है। हिन्दुस्तान जैसे बहुसांस्कृतिक देश में ‘वन नेशन, वन कल्चर’ की आक्रामक हिमायत करने वाले लोग अपनी ऐसी विचारधारा और कार्यों को थोपने की कोशिश कर रहे हैं, जो इस्लाम के बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है। इस पर हमारी आपत्ति गलत नहीं है।
उन्होने कहा, योग को लेकर किसी तरह का विवाद नहीं खड़ा किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर धर्म और वर्ग के लोगों को योग दिवस को प्रोत्साहित करना चाहिए, मगर इसके लिए जरूरी है कि वह रहमत बने, जहमत नहीं।