नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के बीच जारी तनाव और बढ़ सकता है। दरअसल, चीन अब अपने सैनिकों को मार्शल आर्ट (Martial Art) की ट्रेनिंग देने जा रहा है। इसके लिए सीमा पर ट्रेनर को भेजा जा रहा है।
दरअसल बीबीसी ने बताया कि हांगकांग के मीडिया के मुताबिक़ चीन की मीडिया वेबसाइटों में तिब्बत भेजे जा रहे सेना के ख़ास मार्शल आर्ट ट्रेनरों के बारे में ख़बरें प्रकाशित हुई हैं। सरकारी चैनल सीसीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि एंबो फ़ाइट क्लब से जुड़े बीस फ़ाइटर तिब्बत की राजधानी ल्हासा में रहेंगे। हालांकि चीन के मीडिया में ये नहीं बताया गया है कि ये ट्रेनर भारत से लगी सीमा पर तैनात सैनिकों को ट्रेनिंग देंगे।
चीन के आधिकारिक सैन्य अखबार चाइना नेशनल डिफेंस न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया है कि तिब्बत की राजधानी ल्हासा में चीन ने पांच सैन्य डिवीजन तैनात किए थे। अल्पाइन मिशनों में विशिष्ट पांच पेशेवर टीमें, जिनमें स्नो हॉक एयर पैट्रोल टीम, स्नो पिजन कम्युनिकेशन टीम, स्नो वुल्फ पर्वतारोहण अभियान, स्नो मास्टिफ फाइटिंग टीम और स्नो फॉक्स क्विक रिस्पांस टीम शामिल हैं।
रिपोर्ट के अनुसार तिब्बती सैन्य और स्थानीय अधिकारियों ने पठार पर सीमा रक्षा की जरूरतों के अनुरूप उभरते हुए क्षेत्रों में मजबूत आधार खोजने के लिए स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते हुए नई सैन्य इकाइयों की स्थापना की है। इन इकाइयों के लिए इस साल की शुरुआत से गहन प्रशिक्षण आयोजित किया जा रहा है। चीन का कहना है कि उसने ये कदम अपने सैनिकों को फुर्तीला रखने के लिए उठाया है।
बता दें कि गलवान घाटी में हुई हिं’सक झड़प से पहले चीन ने अपनी माउंटेन डिविजन और मार्शल आर्ट में माहिर इन लड़ाकों को एलएसी के नजदीक तैनात किया था। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के इस माउंटेन डिविजन में तिब्बत के स्थानीय मार्शल आर्ट क्लब से भर्ती किए गए लड़ाके और नियमित सैनिक भी शामिल थे।
पीपुल्स डेली की रिपोर्ट के अनुसार, तिब्बत के पठार इलाके में रहने वाले ये लड़ाके चीनी सेना को नुकीली चीज या लाठी, डंडों से लड़ने की ट्रेनिंग भी दे रहे हैं। छद्म युद्ध में माहिर चीन अब इन भाड़े के लड़ाकों के जरिए सीमा विवाद को बढ़ाने के फिराक में है।