मदरसों से आतंकी नहीं बल्कि IAS अधिकारी निकलते है: राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग

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उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख वसीम रिजवी द्वारा मदरसों को आतंक से जोड़ने की राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष सैयद गैयूरूल हसन रिजवी ने कड़ी आलोचना की है. साथ ही वसीम रिजवी के बयान को हास्यास्पद बताया.

रविवार को इस सबंध में गैयूरूल हसन ने कहा कि ‘‘मदरसों को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश बहुत बचकाना और हास्यास्पद है। एक या दो घटनाओं को लेकर मदरसों को बदनाम नहीं किया जा सकता. आज के समय मदरसों से पढ़ने वाले बच्चे आईएएस अधिकारी भी बन रहे हैं और दूसरे क्षेत्रों में नाम कमा रहे हैं. मैं तो यह कहूंगा कि मदरसे आतंकवादी नहीं, बल्कि आईएएस पैदा करते हैं.’’

उन्होंने कहा कि ऐसी कई मिसालें मिलती हैं जब मदरसों से पढ़े बच्चों ने यूपीएससी की परीक्षा में कामयाबी हासिल की है। दारूल उलूम देवबंद से पढ़ाई करने वाले मौलाना वसीमुर रहमान ने 2008 में यूपीएससी की परीक्षा पास की थी. उनको 404वीं रैंक मिली थी. उत्तर प्रदेश के मऊ जिले में मदरसा ‘अली अरबिया’ से पढ़ाई करने वाले मौलाना हम्माद जफर ने 2013 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और उनको 825वीं रैंक हासिल हुई थी.

अल्पसंख्यक आयोग प्रमुख ने कहा, ‘‘वह सरकार की नजर में अच्छा बनने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं. लेकिन मैं पूरे यकीन से कह सकता हूं कि सरकार को इनकी बातों पर कोई यकीन नहीं है. सरकार तो मदरसों का आधुनिकीकरण करना और इनको आगे बढ़ाना चाहती है.’’

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ने गत आठ जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मदरसों को बंद करने की मांग की थी. उन्होंने दावा किया था कि मदरसों में गलत शिक्षा मिलने की वजह से उनके विद्यार्थी धीरे-धीरे आतंकवाद की तरफ बढ़ जाते हैं.

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