योगी राज में पहली बार बंद हुई ,लखनऊ की 112 साल पुरानी ‘टुंडे कबाबी’ दुकान

लखनऊ | उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ अपने नवाबी अंदाज और तहजीब के लिए जानी जाती है. लेकिन इन सब के साथ साथ लखनऊ की एक और चीज के दुनिया भर में दीवाने है. जी हाँ हम लखनवी कबाब की बात कर रहे है और इस दीवानगी के पीछे लखनऊ की मशहूर दुकान ‘टुंडे कबाबी’ का बड़ा हाथ रहा है. करीब 112 साल पुरानी यह दुकान आज अपने लजीजदार कबाब की वजह पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है.

लेकिन योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद 112 सालो में यह पहली बार बंद हुई. दरअसल मुख्यमंत्री ने बूचड़खानों के खिलाफ अभियान छेड़ा हुआ है जिसकी वजह से पुरे प्रदेश में बूचड़खानों को बंद कराया जा रहा है. जिसकी वजह से मटन और भेंसो के मीट की भारी किल्लत हो गयी है. यही कारण है की बुधवार को ‘टुंडे कबाबी’ के पास न मटन था और न ही भेंसे का मीट.

जिसकी वजह से दुकान को बंद करना पड़ा. इस दुकान के मालिक अबू बकर ने गुरुवार को पत्रकारों से बात करते हुए कहा की मुख्यमंत्री जी के कदम से दिक्कत तो हो रही है. फिलहाल हमारे पास केवल चिकन का ही कबाब बन रहा है. लेकिन हम मुख्यमंत्री जी के इस कदम की सराहना करते है. बस उनसे एक अनुरोध है जी वैध बूचड़खाने जिनके पास लाइसेंस है उनको बंद न किया जाये.

टुंडी कबाबी दुकान को 1905 में लखनऊ के अकबरी गेट इलाके में शुरू किया गया था. शुरुआत से ही लखनऊ के लोग इस दुकान के कबाब के दीवाने रहे है. फ़िलहाल तो टुंडे कबाबी की प्रसिद्धि इतनी है की यहाँ से कबाब को पैक कर विदेशो में भी भेजा जाता है. लेकिन बूचड़खानों के बंद होने की वजह से इस दुकान पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है. यहाँ काम कर रहे एक कर्मचारी का कहना है की अगर ऐसा ही चलता रहा तो इस दुकान को भी बंद करना पड़ सकता है.

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