नई दिल्ली | 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री मोदी ने 500 और 1000 के नोट बंद करने का एलान कर दिया. उनके एलान से पुरे देश में हडकंप मंच गया. हालाँकि मोदी ने 11 नवम्बर से पुराने नोट बैंक में जमा करने या बदलवाने की सुविधा लोगो को दी. आज बैंक में पुराने नोट जमा कराने का आखिरी दिन है. आज के बाद केवल आरबीआई की शाखाओ में ही पुराने नोट जमा होंगे.
इन 50 दिनों में देश की जनता एटीएम और बैंकों की कतारों में ही खड़े रहे. पूरा देश करेंसी की किल्लत से झूझता रहा और सरकार अपनी पीठ थपथपाती रही. इस दौरान सरकार ने करीब 60 बार नियम बदले जिससे लोगो को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. सबसे ज्यादा परेशानी दिहाड़ी मजदूर, किसान और उन परिवारों को हुई जिनके यहाँ शादी थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने नोट बंदी पर जनता से 50 दिन की मोहलत मांगी थी. मोदी ने कहा था की 30 दिसम्बर तक हालात सामान्य हो जायेंगे. हालंकि सरकार दावा कर रही है की अब हालात सामान्य हो चुके है. बैंक और एटीएम के सामने लाइन छोटी हुई है और बैंकों के पास पर्याप्त मात्रा में पैसा उपलब्ध है. लेकिन सरकार के दावे हकीकत से काफी दूर दिखाई दे रहे है.
गाँव में अभी भी बैंकों के पास कैश भी है. सरकार द्वारा घोषित राशी 24 हजार रूपए किसी भी बैंक से नही मिल रहे है. गाँव के हालात तो जैसे है वो तो है ही लेकिन शहरो के हालात भी कम बदतर नही है. अभी भी केवल 40 फीसदी एटीएम काम कर रहे है. ज्यादातर एटीएम बंद पड़े है और जो खुले है उनमे कैश जल्दी खत्म हो रहा है.
वित्त मंत्री अरुण जेटली नोट बंदी को सफल बता रहे है. जेटली ने आंकड़ो के जरिये बताया की अप्रैल से नवम्बर के बीच आयकर और अप्रत्यक्ष करो के कलेक्शन में वर्द्धी दर्ज हुई है. अगर सरकार अपनी पीठ थपथपाने की बजाय यह बताये की नए साल से क्या लोगो को उनका पैसा मिलना शुरू होगा या नही? क्या नकदी निकासी पर लगी सीमा हटाई जाएगी या नही? अगर आरबीआई के पास पर्याप्त करेंसी है तो नकदी निकासी पर सीमा क्यों लगाई गयी है? ये कुछ सवाल है जिनका जवाब आने वाले दिनों में सरकार को देना होगा.