शहंशाह ए हिन्द हजरत ख्वाजा गरीब नवाज (रजि.) के दरबार में जायरिनों के साथ ख़ादिमों द्वारा की जाने वाली बदसलूकी को लेकर आला हजरत के उर्स के दौरान अपने बयान को लेकर मारहरा की दरगाह के सज्जादानशीन एवं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के प्रोफेसर सय्यद अमीन मियां ने कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया।
सय्यद अमीन मियां ने कहा कि अजेमर दरगाह के एक खास फिरके से ताल्लुक रखने वाले खुद्दाम जायरिनों के साथ बदसलूकी करते है। जिसको लेकर कहा गया था कि अहले सुन्नत वल जमात और दीगर जायरिनों के साथ ये बदलूकियां नहीं रुकी तो ख्वाजा के गुलामों को सरकार गरीब नवाज का उर्स अपने घरों मे ही बनाने को मजबूर होना पड़ेगा।

ख़ानक़ाह ए बरकातिया के सज्जादानशीन ने खुद्दाम ए दरगाह ए गरीब नवाज से अपील की कि इन चंद खुद्दामों की इसलाह की जाए और दरबारे गरीब नवाज (रजि.) के तक्कदूस को पामाल होने से बचाया जाए। अमीन मियां ने साफ किया कि किसी भी मुसलमान को दरबार ए गरीब नवाज में हाजिरी देने से नहीं रोका गया है। उन्होने कहा, दरबार ए गरीब नवाज से फैजयाब होना कल भी हमारा हक था, आज भी है और कयामत तक रहेगा।
सय्यद अमीन मियां ने बताया कि ख़ानक़ाह ए बरकातिया मारहरा शरीफ के मशाइख और मौजूदा खादिमाने खानदाने बरकात हुजूर सुल्तानूल हिन्द से रिश्ता ए गुलामी पेश करते हुए जानशीन ए ख़्वाजा ए गरीब नवाज हजरत ख़्वाजा बख्तयार काकी (रजि) की निस्बात के हवाले से सिलसिला ए चिश्तियां की दौलत से सरफराज है।
हालांकि उन्होने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि दरगाह में जायरीने दरे ख़्वाजा गरीब नवाज के साथ होने वाली बदसलूकी और ख़ादिमों की गलत हरकतों को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इन हरकतों को रोका जाना जरूरी है।