जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आठ साल की बच्ची के साथ मंदिर में सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। दरअसल, जांच के दौरान ही वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने इस पूरे घटनाक्रम में देवस्थान या मंदिर की संलिप्तता पर संदेह जताया था।
कठुआ के हरिनगर में एसएचओ सुरेश गौतम ने कोर्ट को बताया कि हालांकि जांच अधिकारी ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को यह बताया कि निजी मंदिर के बारे में ‘कुछ भी संदेहजनक नहीं है।’ गौतम ने कहा कि उन्होंने एसएसपी की ओर से बुलाई गई 18 जनवरी की बैठक में मंदिर को लेकर संदेह जताया था। संदेह की वजह यह थी कि घटना के बाद मंदिर को बंद पाया गया था।
हालांकि दत्ता ने उन्हें और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों को बताया कि 12 जनवरी को जब वह गए थे, तब मंदिर खुला था और उसके अंदर ‘कुछ महिलाएं पूजा कर रही थीं।’ दत्ता ने उन्हें मंदिर की जांच करने से रोक दिया क्योंकि उनको इस बात की ‘पूरी जानकारी’ थी कि कठुआ पीड़िता को वहां पर बंद कर रखा गया था।
एसएचओ गौतम इन दिनों सस्पेंड चल रहे हैं और विभागीय जांच का सामना कर रहे हैं।अपनी सफाई में गौतम ने कहा कि गणतंत्र दिवस की तैयारियों और सीमापार से गोलाबारी के कारण वह ‘काफी व्यस्त’ थे। उन्होंने माना कि केस डायरी के अंदर उन्होंने शिकायत मिलने के दिन 13 जनवरी से मासूम के शव मिलने के दिन यानि 17 जनवरी के बीच कोई एंट्री नहीं किया।
बता दें कि इसी मंदिर में मासूम बच्ची को बंधक बनाकर रखा गया था और उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। पूर्व जांच अधिकारी सब इंस्पेक्टर आनंद दत्ता सबूतों को मिटाने के आरोप में कार्यवाई का सामना कर रहे है।