नोटबंदी के बाद से बैंक और नोटों से हटकर एक खबर कश्मीर से आ रही है जहाँ जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्लाह ने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत पर निशाना साधा है, उन्होंने कहा की अगर मोहन भागवत भारत को हिन्दू राष्ट्र बताते है तो कश्मीर भारत का अभिन्न अंग नही रहेगा.
यही नही फारुख अब्दुल्लाह ने ‘संविधान के खिलाफ बोलने’ पर भागवत के खिलाफ एक्शन लेने की मांग करते कहा कि कश्मीर उस भारत का हिस्सा है, जिसमें सभी धर्मों को इसके संविधान में बराबर का दर्जा दिया गया है। आगे बोलते हुए उन्होंने कहा की संविधान सभी धर्मों को बराबर का दर्जा देता है अब समय आ गया है जब सभी राष्ट्रिय नेताओ को एक ही आवाज़ में बोलना पड़ेगा. आरएसएस प्रोपेगेंडा किसी भी पार्टी को स्वीकार नहीं है।’ अब्दुल्ला ने यह बात श्रीनंगर में अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कही।
अब्दुल्ला ने कहा, ‘घाटी पाकिस्तान का हिस्सा नहीं बनेगी, लेकिन भागवत जैसे लागों के बयान से लोगों के दिमाग में भ्रम पैदा हो रहा है कि मोहम्मद अली जिन्ना का दो राष्ट्रों का सिद्धांत सही था और जो उसके खिलाफ बोलते हैं वो गलत हैं। यहां पाकिस्तान नहीं बनेगा। हम उनके गुलाम बनकर निरंकुशता के नीचे नहीं दबेंगे। आज भी वहां पर जमींदार राजा हैं और गरीब कुछ भी नहीं हैं।’
अब्दुल्ला ने कहा कि बिना बातचीत के कश्मीर का मुद्दा नहीं सुलझ पाएगा। भारत को पाकिस्तान से बातचीत करनी ही होगी, क्योंकि पड़ोसी नहीं बदल सकते। उन्होंने कहा, ‘या तो हम युद्ध करें या फिर अब की तरह पड़ोसियों का नुकसान करें। दोनों तरफ ही बेगुनाह लोग मारे जाते हैं। कुछ राज्यों में चुनाव हैं, इसलिए वे दिखाना चाह रहे हैं कि हम कुछ कर सकते हैं, लेकिन वे कुछ करेंगे नहीं। बातचीत के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है।’