कोरोना लॉकडाउन के बीच कश्मीर में एक महिला फोटो जर्नलिस्ट मसर्रत ज़हरा के खिलाफ देशद्रोह का मुक़द्दमा दर्ज किया गया है। उन पर सोशल मीडिया के जरिये युवाओं को उकसाने और शांति के खिलाफ अपराधों को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है।
श्रीनगर के साइबर पुलिस स्टेशन ने शनिवार को एक बयान में कहा कि, विश्वसनीय स्रोतों के माध्यम से जानकारी मिली कि एक फेसबुक उपयोगकर्ता मसर्रत ज़हरा युवाओं को सार्वजनिक शांति के खिलाफ भड़काने और अपराधों को बढ़ावा देने के आपराधिक इरादे के साथ राष्ट्र विरोधी पोस्ट अपलोड कर रही है। पुलिस का कहना है कि उनकी पोस्ट से क़ानून लागू करने वाली संस्थाओं की छवि ख़राब हो रही है और देश के ख़िलाफ़ प्रभाव पड़ रहा है।
वहीं मसर्रत ज़हरा ने अलजज़ीरा को बताया कि पुलिस पत्रकारों को कुचलने की कोशिश कर रही है। उनका कहना है कि उन्होंने पिछले वर्षों में प्रकाशित हो चुकी सामग्री ही दोबारा फ़ेसबुक पर पोस्ट की है। मसर्रत ज़हरा ने कहा कि मैं अपनी पुरानी तसवीरें जारी करती रहती हूं जो पहले ही भारतीय और दुनिया के दूसरे संस्थानों या सोशल मीडिया में पबलिश हो चुकी होती हैं मगर अब इसी बात पर मेरे ख़िलाफ़ राष्ट्र द्रोह का मुक़द्दमा दर्ज किया गया है।
Intimidating & harassing journalists in J&K to stifle reportage has become the norm. Masarat Zahra, a photojournalist was booked under draconian UAPA for allegedly ‘uploading anti national posts’. In J&K using VPNs or social media is now seen as a threat to public order.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) April 20, 2020
मसर्रत ज़हरा ने सोमवार को टेलीफोन पर अल जज़ीरा को बताया कि पुलिस और सरकार “कश्मीर में पत्रकारों की आवाज़ को खत्म करने” की कोशिश कर रहे हैं। ज़हरा ने कहा कि, “पुलिस ने कहीं उल्लेख नहीं किया है कि मैं एक पत्रकार हूं, उन्होंने कहा है कि मैं एक फेसबुक उपयोगकर्ता हूं।”
मामले में पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा मुफ्ती ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पत्रकारों को डराना और धमकानासख्त कर दिया है। उन्होने अपनी मां के हैंडल से ट्वीट किया, “मसरत ज़हरा, एक फोटो जर्नलिस्ट को कथित तौर पर ‘एंटी नेशनल पोस्ट अपलोड करने’ के लिए ड्रैकियन यूएपीए के तहत आरोपित किया गया है। जम्मू कश्मीर में वीपीएन या सोशल मीडिया का इस्तेमाल अब खतरे के रूप में देखा जाता है।”