इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयाग किए जाने पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाने पर लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीश और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के पूर्व चेयरमैन जस्टिस मार्कण्डेय काटजू ने यूपी के 18 शहरों की सूची जारी की है। जिसमे उन्होने मुरादाबाद का नाम मनकीबातनगर, फैजाबाद का नरेन्द्र मोदीपुर और फतेहपुर का नाम अमित शाह नगर करने की मांग की।
जस्टिस काटजू नें ट्वीट कर कहा कि इन तमाम शहरों के नाम मुगल काल के हैं, जिनके नाम बदल दिए जाने चाहिए। उन्होंने लिखा, इलाहाबाद का नाम प्रयाग करने के लिए सीएम योगी को बधाई दी। लेकिन कहा कि यह पर्याप्त नहीं है। उन्होंने अन्य नगरों को बाबर की औलादों से नाम से मुक्ति दिलाने के लिए मुख्यमंत्री को उनके नाम बदलने चाहिए।
उन्होने कहा, अलीगढ़ का नाम अश्वथामानगर, आगरा का अगत्स्यनगर, गाजीपुर का गणेशपुर, शाहजहांपुर का सुग्रीवपुर, मुजफ्फरनगर का नाम मुरली मनोहर नगर कर दिया जाए। इसी तरह आजमगढ़ का नाम अलकनंदापुर, हमीरपुर का हस्तिनापुर, लखनऊ का लक्ष्मणपुर, बुलंदशहर का बजरंगबलीपुर, गाजियाबाद का नाम गजेन्द्र नगर या घटोत्कचनगर, फिरोजाबाद का द्रोणाचार्य नगर. फर्रूखाबाद का अंगदपुर, सुल्तानपुर का सरस्वतीनगर और मिर्जापुर का नाम मीराबाई नगर कर दिया जाए।
Dear @myogiadityanath,
Congratulations for renaming Allahabad as Prayag.
But surely that is not enough. I recommend the following further name changes of UP cities be made to eliminate names of these Babur ki Aulads altogether pic.twitter.com/msMYZdGlYL
— Markandey Katju (@mkatju) October 15, 2018
बता दें, सीएम योगी ने कहा कि गंगा और यमुना दो पवित्र नदियों का संगम स्थल होने के नाते इलाहाबाद सभी प्रयागों का राज है, इसलिए इलाहाबाद को प्रयागराज भी कहते हैं। अगर, सबकी सहमति होगी तो प्रयागराज के रूप में ही हमें इस शहर को जानना चाहिए। राज्यपाल राम नाईक ने इसकी मंजूरी दे दी है।
हालांकि योगी के इस फैसले का बड़ा विरोध हो रहा है। समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इसे परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ करार दिया। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा कि प्रयाग कुंभ का नाम केवल प्रयागराज किया जाना और अर्द्धकुंभ का नाम बदलकर ‘कुंभ’ किया जाना परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ है।
राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से ‘प्रयाग कुम्भ’ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं. इन्होंने तो ‘अर्ध कुम्भ’ का भी नाम बदलकर ‘कुम्भ’ कर दिया है. ये परम्परा और आस्था के साथ खिलवाड़ है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 15, 2018
उन्होंने कहा, ‘राजा हर्षवर्धन ने अपने दान से प्रयाग कुंभ का नाम किया था और आज के शासक केवल ‘प्रयागराज’ नाम बदलकर अपना काम दिखाना चाहते हैं। इन्होंने तो ‘अर्धकुंभ’ का भी नाम बदलकर ‘कुंभ’ कर दिया है। ये परंपरा और आस्था के साथ खिलवाड़ है।’