देश की राजधानी में बीते तीन दिन से जारी मुस्लिम विरोधी हिंसा में एक हिंदी समाचार पोर्टल के पत्रकार को न केवल पीटा गया। बल्कि शिनाख्त के लिए पैंट उतरवाकर खतना चेक की गई। पत्रकार की पहचान सुशील मानव के रूप में हुई है। जो “जनचौक’ के पत्रकार हैं।
सुशील मानव ने पूरी घटना की जानकारी देते हुए अपने फेसबुक पेज पर लिखा, “मौजपुरा गली नंबर 7 (इसी गली के सामने रतनलाल को गोली मारकर हत्या कर दिया गया था) में भगवा आतंकवादियों ने आज दोपहर हम दोनो पर जानलेवा हमला किया। बस मरते मरते बचे हैं। उन दहशतगर्दो ने हमारे पेट पर तमंचा लगाकर हमारी पैंट उतरवाया। एक पुलिसकर्मी के सही समय पर हस्तक्षेप से हमारी जान बची।”
सुशील मानव के अनुसार, “फिर उनलोगों ने हनुमान चालीसा सुनाने के लिए कहा। उसके कहने पर हमने हनुमान चलीसा सुनाया। उसके बाद एक दूसरा शख्स आया। उसने कहा फिर से बोलो। मैंने फिर से पूरा हनुमान चलीसा सुनाया। उसके बाद उन लोगों ने हमारी और हमारे दोस्ट की पैंट खुलवाई। पैंट खुलवाकर उन लोगों ने दो बार देखा और फिर बोला कि हां ये हिंदू ही है।” हालांकि इसके बावजूद सुशील के मोबाइल छीन लिए गए और पैसे ले लिए गए।
वहीं सीएनएन न्यूज 18 की जर्नलिस्ट रुनझुन शर्मा ने हिंसा की जो आंखों देखी तस्वीर बंया की है वो सन्न कर देने वाली है। रुनझुन के मुताबिक उपद्रवी इसकदर हिंसा पर उतारू थे कि आगजनी और तोड़फोड़ को एंज्वॉय कर रहे थे।
रुनझुन शर्मा ने बताया- मुझे लगा कि मैं कोई हॉरर फिल्म देख रही हूं। दृश्य बिल्कुल रौंगटे खड़े कर देने वाला था। भीड़ में कुछ लोगों के हाथ में तलवारें, लोहे की छड़ें और हॉकी स्टिक थी। उनमें से कई ने हेलमेट पहने हुए थे और ‘जय श्री राम’ का नारा लगा रहे थे। जैसे ही वे घरों में दाखिल हुए, मैंने परेशान करने वाली आवाजें सुनीं। कुछ मिनट बाद, मैंने एक खिड़की से आग की पलटें देखी। मैं पूर्वोत्तर दिल्ली के खजूरी खास इलाके में दो अन्य पत्रकारों के साथ एक बड़े सीवर नाले के पार खड़ी थी।
रुनझुन ने बताया कि हमें जो कुछ भी हो रहा था, उसे शूट करने या रिकॉर्ड करने की अनुमति नहीं थी। भीड़ ने उन्हें धमकी भरे लहजे में कहा- फोन निकालने की जरूरत नहीं केवल “दृश्य का आनंद लें”। पत्रकार के मुताबिक पत्थर फेंके जा रहे थे और हमारे सामने और पीछे की गलियों में तेजाब फेंका जा रहा था। एक धार्मिक ढाँचा भी जलाया जा रहा था। हमें इसके करीब जाने की अनुमति नहीं थी, लेकिन आसमान में छाए काले धुएं दूर से दिखाई दे रहे थे।
As houses are being burned to the ground in Khazoori Khas in North East Delhi- there is NO police present in the area.
This is 3rd day of #DelhiRiots. Why is this still on? pic.twitter.com/ZEzRZEN6Do— Runjhun Sharma (@Runjhunsharmas) February 25, 2020
जैसे ही हम पुराने मौजपुर से थोड़ा आगे एक और स्थान की ओर बढ़े। हमने क्षेत्र में धारा 144 लागू होने के बावजूद हथियारबंद भीड़ को देखा। पुराने मौजपुर के पास एक और धार्मिक संरचना को बर्बरता से तोड़ा जा रहा था। रुनझुन ने बताया मैं दो एनडीटीवी पत्रकारों, सौरभ शुक्ला और अरविंद गुनासेकर के साथ रिपोर्टिंग कर रही थी। हमने अपनी गाड़ियां रोक दीं। हमने बाइक पर तिलक लगाए हुए लोगों को देखा। वो हथियारों से लैस थे। जैसा कि कोई भी रिपोर्टर करता है, अरविंद गनसेकर ने अपने मोबाइल फोन पर उन दृश्यों को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया, जो उसकी शर्ट के ब्रेस्ट-पॉकेट में रखे हुए थे। कुछ ही मिनटों में, लगभग 50 आदमी, जो लोहे की छड़ों और हॉकी स्टिक से लैस थे, हमारी ओर दौड़ने लगे। इससे पहले कि हम यह सब समझ पाते, उन्होंने अरविंद के साथ मारपीट शुरू कर दी।
सौरभ शुक्ला और मैंने अपने हाथ जोड़ लिए और भीड़ से निवेदन किया कि हम तीनों को जाने दें। हम लगातार कह रहे थे हमें माफ कर दीजिए, हमें जाने दीजिए, हम पत्रकार हैं। अरविंद को लगातार कुछ मिनटों तक पीटने के बाद भीड़ से कुछ लोगों ने उसके फोन से वीडियो डिलीट कर दिया। उसके बाद ही उसे वहां से जाने दिया। वह लंगड़ा रहा था और मुंह से खून बह रहा था, एक दांत गायब था, दो अन्य टूटे हुए थे।