नई दिल्ली: जमात-ए-इस्लामी हिंद के बाद, एक अन्य प्रमुख मुस्लिम समूह जमीअत उलमा-ए-हिंद ने ‘पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया’ (पीएफआई) पर लगाए गए बैन को लेकर झारखंड की भाजपा सरकार की तीखी आलोचना की है.
जमीअत ने कहा कि संगठन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला सरकार के पक्षपातपूर्ण रवैया को याद दिलाता है, जबकि हिंदुत्व संगठन राज्य में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और नफरत को बढ़ावा दे रहे है. बीते दिनों में झारखंड में दर्जनों भीड़ के हाथों हत्याएं हुई. लेकिन राज्य सरकार अपराधियों को रोकने में नाकाम रही.
जमीयत उल्लामा-ए-हिंद के महासचिव और पूर्व सांसद मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि “आतंकवादी होने का आरोप मजाक का मामला नहीं है, जबकि पूरा देश आतंकवाद के खतरे के खिलाफ लड़ाई में एकजुट है. इसलिए सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस मुद्दे को संवेदनशीलता के साथ हल करे.
उन्होंने कहा कि पीएफआई पर प्रतिबंध एक विशेष धर्म के सदस्यों के खिलाफ एक प्रतिवादी कार्रवाई है. मौलाना ने कहा, सरकार को इस संबंध में ऐसे कदमों से बचना चाहिए, जिससे किसी विशेष धर्म, जाति और पंथ आदि के सदस्यों को पक्षपातपूर्ण या प्रतिवादी कार्रवाई का सामना करना पड़े. क्योंकि इससे उपेक्षित वर्गों में शिकार की भावना विकसित हो जाएगी.”
इस दौरान मौलाना मदनी ने पीएफआई के खिलाफ कोई ठोस सबूत सार्वजनिक करने के लिए झारखंड सरकार से आग्रह किया. उन्होंने कहा, बिना सबूत के पीएफआई पर झारखंड सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंध को “लोकतांत्रिक, असंवैधानिक और अवैध” कहा जाएगा.