केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी पर दर्ज फर्जी डिग्री मामले में तीस हजारी कोर्ट की मजिस्ट्रेट अदालत ने फैसला 6 अक्टूबर तक के लिए सुरक्षित रख लिया है. अब इस मामलें में सोमवार की सुनवाई में कोर्ट ने कहा कि वह 6 अक्टूबर को यह तय करेगी कि मामले में समन भेजकर स्मृति ईरानी को तलब किया जाए या नहीं.
अहमेर खान नामक स्वतंत्र पत्रकार ने याचिका दाखिल कर रोप लगाया था कि उन्होंने चुनाव आयोग को दिए एफिडेविट में अपनी शैक्षणिक योग्यता के बारे में गलत जानकारियां दी थीं.
स्मृति ईरानी ने अप्रैल 2004 में चांदनी चौक से लोकसभा चुनाव लड़ते वक्त चुनावी हलफनामे में बताया था कि उन्होंने 1996 में दिल्ली विश्वविद्यालय के पत्राचार से बीए की थी. लाई 2011 में गुजरात से राज्यसभा चुनाव लड़ते वक्त उन्होंने कहा था कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय से बी.कॉम पार्ट प्रथम वर्ष ही पास हैं. और 2014 में अमेठी से लोकसभा चुनाव लड़ते वक्त अपने हलफनामे में भी कहा कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग से बी.कॉम प्रथम वर्ष ही पास हैं.
शिकायत में कहा गया कि अलग-अलग समय पर चुनाव के समय ईरानी ने जो हलफनामे दाखिल किए हैं, उनमें अपनी शिक्षा के संबंध अलग-अलग जानकारी दी. शिकायत में यह कहा गया कि जनप्रतिनिधित्व कानून और आईपीसी की धाराओं के तहत गलत जानकारी देने वाले को सजा दी जा सकती है.