लखनऊ। अयोध्या में जमीन विवाद के मामले में सुप्रीम कोर्ट में रोजाना सुनवाई के अलावा चल रहीं है। इसी बीच गुरुवार को इंडियन मुस्लिम फॉर पीस नामक संगठन ने अयोध्या में विवादित भूमि का टुकड़ा हिंदुओं को गिफ्ट (तोहफा) कर देने की बात कही।
बैठक में बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में अगर मुस्लिम पक्ष जीत भी जाए, तब भी वे जमीन दे देने का प्रस्ताव रखेंगे, बशर्ते सरकार मुस्लिमों के अन्य धार्मिक स्थलों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। साथ ही, इस मामले का हल कोर्ट के बाहर बातचीत से निकाले जाने का प्रस्ताव भी रखा गया।
बैठक में शामिल अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के पूर्व कुलपति रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह ने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे पक्ष में आ भी जाए तो मस्जिद बनना मुमकिन नहीं है। लिहाजा बहुसंख्यक हिंदुओं की भावनाओं को देखते हुए जमीन उन्हें गिफ्ट कर दी जाए। इससे सौहार्द बना रहेगा।
Lt. Gen (retd) Zameer Uddin Shah: In case judgement is in favour of Muslims, for lasting peace in country, Muslims should hand over the land to Hindu brothers. There has to be a solution otherwise we'll go on fighting. I strongly support out-of-court settlement. 2/2 (10.10) https://t.co/5CDCdM2SLu pic.twitter.com/VTuAxh7jCK
— ANI UP (@ANINewsUP) October 11, 2019
उन्होंने कहा कि इस बात पर सुन्नी सेंट्रल बोर्ड भी हमारे साथ है। हालांकि सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों ने इस तरह की किसी भी बातचीत से इनकार किया है। पूर्व आईएएस अनीस अंसारी ने कहा कि हमने जो प्रस्ताव पास किया है, उसे सुन्नी वक्फ बोर्ड के मार्फत सुप्रीम कोर्ट की मध्यस्थता समिति को भेजेंगे। हमारा मानना है कि सुप्रीम कोर्ट में मुकदमा लड़ना संवैधानिक अधिकार है, लेकिन मध्यस्थता बेहतर रास्ता है। उस पर विचार किया जाना चाहिए।
वहीं आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने कहा कि अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला करेगा उसे ही माना जाएगा। इस मामले में पर्सनल लॉ बोर्ड और बाबरी एक्शन कमेटी का स्टैंड आज भी वही है। इंडियन मुस्लिम्स फॉर पीस के पहल पर उन्होंने कहा कि वो खुद तय करें कि वो मुस्लिमों की नुमाईंदगी कर रहे हैं या फिर सरकार की। इस मामले में पक्षकार इक़बाल अंसारी ने भी कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट का ही फैसला मानेंगे।