नई दिल्ली: बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्डों से अलग रवैया अपनाने वाले मौलाना सलमान नदवी ने एक बार फिर अपने रुख पर कायम रहते हुए कहा कि अगर यदि देश के हालात बिगड़ते है तो इस की जिम्मेदारी आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और जमीअत उलेमा ए हिन्द की होगी.
उन्होंने मीडिया को धन्यवाद दिया है, जिन्होंने बाबरी मस्जिद के मुद्दे पर उनके रुख को लोगो तक पहुँचाया. अपने लिखित घोषणापत्र में उन्होंने कहा, “मेरा मुद्दा यह है कि देश में हिन्दू, मुस्लिम, बौद्ध, सिख और ईसाई के बीच भाईचारा होना चाहिए. सभी धार्मिक समुदायों को स्वीकार करना चाहिए कि वे सभी भगवान के पुत्र हैं इसलिए लोगों को अदालतों में अपील करने के बजाय घर के भीतर ही ने विवाद का संधान करन चाहिए, क्योंकि इससे दोनों समुदाय के बीच घृणा और उनके बीच सामंजस्य करने में असमर्थता प्रदर्शित होती है.”
मौलाना ने दोनों समुदायों के बीच नफरत फैलाने के लिए ब्रिटिश और कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया. उन्होंने कहा, ‘बाबरी मस्जिद के विवाद को हल करने के लिए हजरत मौलाना सईद अबुल हसन अली हुसैनी द्वारा किए गए कई प्रयासों के बाद, अंत में मस्जिद को ध्वस्त कर दिया गया और निर्दोष मुस्लिमों को पूरे देश में गंभीर रक्तपात का सामना करना पड़ा. अब, फिर से स्थिति गंभीर है हमने पांच महीने के लिए एक सुलह फार्मूले पर हमारे प्रयास किए हैं, जो कि जारी रहेगा और अदालत के बाहर विवाद के समाधान की तलाश करेगा.’
अंतिम फैसले का इंतजार करने के लिए मुस्लिम बोर्ड और जमीयतुल उलामा के साथ असहमति दिखाते हुए उन्होंने कहा कि शामिल पार्टियों के बीच संपर्क जारी रखना चाहिए.
उन्होंने आगे कहा कि “मैं कह रहा हूं कि हिंदू मुस्लिम एकता को बनाए रखा जाना चाहिए और बैठकें जारी रहें, लेकिन हम 14 मार्च की अगली सुनवाई की तारीख में अदालतों का इंतजार कर रहे हैं. मैं मार्च के महीने में फैसले जारी करने और मामले की दिन-प्रतिदिन सुनवाई के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश से अपील कर रहा हूं. पच्चीस साल बीत चुके , कई मुकदमेबाजों ने दुनिया को छोड़ दिया, कृपया अदालत को जितनी जल्दी हो सके अपने फैसले करे, कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह निर्णय मुस्लिम पर्सनल लॉ और जामियत अल-उलेमा के पक्ष में आता है, मुझे खुशी होगी अगर वहाँ एक मस्जिद होगी.