“कांग्रेस अगर यूपी जीतना चाहती है तो सीएम के लिए मुस्लिम चेहरा आगे करे”

do or die condition for congress

नयी दिल्ली – नरेन्द्र मोदी को पीएम तथा नितीश कुमार को सीएम बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले प्रशान्त किशोर ने इस बार यूपी पंजाब में कांग्रेस को जीताने का बैयाना लिया है. वैसे तो प्रशान्त किशोर को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आरम्भ से ही कुछ नाराज़ से चल रहे है जिसका मुख्य कारण है प्रशान्त किशोर के काम करने का तरीका, आला कमान की तरफ से दिशानिर्देश है की प्रशान्त किशोर का कहना हर हाल में मानना है. ऐसे में मनमुटाव काफी हद तक संभव है.

यही नही प्रशान्त किशोर जब किसी जब किसी प्रोजेक्ट पर काम शुरू करते है तो पहले बड़े पैमाने पर रिसर्च करते है तथा खुद अलग अलग चुनाव क्षेत्र में जाकर जायजा लेते है. इसी आधार पर उन्होंने यूपी के लिए मुसलमान या ब्राह्मण कैंडिडेट का चेहरा सामने करने को कहा है. बस वहीँ से कांग्रेस की मुश्किलें बढती जा रही है. कांग्रेस के लिए इस सलाह पर अमल करना मुश्किल हो रहा है। कांग्रेस के पास ऐसे चेहरों की कमी है, जिन पर मजबूती से दांव खेला जा सके। गुरुवार शाम दिल्‍ली में शीला दीक्षित ने सोनिया गांधी से मुलाकात की।

इसके बाद इस बात की चर्चा ने जोर पकड़ा कि शायद दीक्षित को कांग्रेस यूपी में अपना चेहरा बना कर प्रशांत किशोर की सलाह पर अमल करे। पर जिस समय दीक्षित-सोनिया की मुलाकात चल रही थी, लगभग उसी समय उपराज्‍यपाल नजीब जंग ने दिल्‍ली सरकार की शिकायत पर शीला के खिलाफ जांच की मांग की फाइल भ्रष्‍टाचार निरोधी ब्‍यूरो (एसीबी) को भेज दी।

उपराज्‍यपाल के कदम के बाद कांग्रेस के लिए शीला दीक्षित को यूपी में मुख्‍यमंत्री पद का चेहरा घोषित करना आसान नहीं रह जाएगा। कांग्रेस को पंजाब में पहले ही मुंह की खानी पड़ चुकी है। कमलनाथ को राज्‍य का प्रभारी बनाए जाने के कुछ ही घंटों बाद इस्‍तीफा देना पड़ा। विपक्षी पार्टियों ने यह कह कर कमलनाथ की नियुक्ति को बड़ा मुद्दा बना दिया कि उन पर 1984 के सिख दंगों में शामिल होने का आरोप है। यूपी के नए प्रभारी गुलाम नबी आजाद ने गुरुवार को यह साफ कर कि राहुल गांधी को राज्‍य में चुनावी चेहरा नहीं बनाया जाएगा, प्रशांत किशोर का एक और प्‍लान फेल कर दिया। किशोर यूपी में कांग्रेसियों की गुटबाजी से पहले से परेशान हैं। अब राज्‍य में कांग्रेस का नया अध्‍यक्ष भी चुना जाना है। बताया जा रहा है कि प्रमोद तिवारी इस पद के लिए खुद को दौड़ में ला रहे हैं। नए अध्‍यक्ष से प्रशांत किशोर के समीकरण कैसे बनते हैं, उनके काम की सफलता इस बात पर भी काफी निर्भर रहेगी।

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