नई दिल्ली | नोट बंदी के बाद पुरे देश में एक बहस छिड़ी हुई है. कुछ अर्थशास्त्री नोट बंदी को देश हित में देख रहे है तो कुछ इसका पुरजोर विरोध कर रहे है. नोबल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने भी नोट बंदी के बारे में नकारात्मक बाते कही है. अमर्त्य सेन ने नोट बंदी को एक तानाशाही कदम बाते हुए इसकी आलोचना की थी. देश के बड़े अर्थशास्त्रियो के नकरात्मक विचारो को देखते हुई ICAI ने अपने सभी सदस्यों के लिए एक सर्कुलर जारी किया है.
ICAI ( इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टेड एकाउंट्स ऑफ़ इंडिया ) ने अपने सर्कुलर में सभी सदस्यों को चेताया है की वो किसी भी मंच से नोट बंदी के विरोध में बाते न करे. ICAI ने यह भी चेताया है की वो अपने क्लाइंट्स को भी नोट बंदी के बारे में सकारत्मक बाते बताये. इसके अलावा किसी इंटरव्यू में निजी विचार रखते हुए भी नोट बंदी के बारे में नकारात्मक प्रचार ने करे.
ICAI ने अपनी एडवाइजरी में लिखा है की ‘ ये फैसला किया गया है की इंस्टिट्यूट के सभी सदस्यों को एडवाइजरी जारी कर चेताया जाए की वो अपने ग्राहक को सलाह देते वक्त इस बात का ध्यान रखे की देश हित सबसे पहले है. इसके अलावा नोट बंदी को लेकर सरकार की मंशा पर भी सवाल न उठाये. यही नही अपने किसी लेख या इंटरव्यू में नोट बंदी को लेकर कोई निजी नकारात्मक राय ने दे.
ICAI ने आगे लिखा की जब आपने ग्राहक से बात कर रहे है तो ICAI के सिद्धांतो का ध्यान रखे. ICAI का मकसद राष्ट्र के निर्माण में भागीदार होना है. हमारे लिए देश हित सबसे ऊपर है. ICAI का यह सर्कुलर केंद्र सरकार के लिए मुसीबत का सबब बन सकता है. विपक्षी दल पहले से ही मोदी सरकार को घेरे हुए है. विपक्ष नोट बंदी को आर्थिक आपातकाल बता रहा है. ऐसे में इस तरह के सर्कुलर से विपक्ष को एक और मौका मिल जाएगा. वो इस सर्कुलर को सीधे आपातकाल से जोड़कर देख सकते है.