नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के नियम बनाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अतिरिक्त तीन महीने का समय मांगा है। मंत्रालय ने संसद की स्थायी समिति से संबंधित एक विभाग को सूचित कर ये जानकारी मांगी है।
अधिकारियों ने रविवार को बताया कि इस संबंध में आवेदन अधीनस्थ विधान संबंधी स्थायी समिति से संबंधित विभाग के समक्ष दिया गया है। नियम के तहत किसी भी विधेयक को राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के छह महीने के भीतर उससे संबंधित नियम बनाए जाने चाहिए, अन्यथा समयावधि विस्तार की अनुमति ली जानी चाहिए।
बता दें कि संसद ने दिसंबर 2019 में नागरिकता संशोधन कानून, 1955 में संशोधन किया था। जिसके बाद अब भारत मुस्लिम बहुल बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आए हिंदुओं, पारसियों, ईसाइयों, जैन और बौद्धों को धार्मिक उत्पीड़न के आधार पर नागरिकता देगा।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ”गृह मंत्रालय ने सीएए के नियमों को तय करने के लिए 3 और महीनों का समय मांगा है।” गृह मंत्रालय ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है जब पैनल ने सीएए के नियमों की स्थिति को लेकर सवाल किया था। अधिकारी ने कहा कि कमिटी अपील को स्वीकार कर सकती है।
संसद से सीएए के परित होने के बाद देश में बड़े पैमाने पर इसके खिलाफ प्रदर्शन देखने को मिले थे। सीएए विरोधियों का कहना है कि यह धर्म के आधार पर भेदभाव करता है और संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। विरोधियों का यह भी कहना है कि सीएए और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाता है।